फरीदाबाद
‘सुण ले मेरा ठिकाणा… इस भारत में हरियाणा’ गीतों की सुरीली सांझ में बीती शाम सूरजकुंड मेला परिसर गूंजायमान हो गया। 38वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेला की चौपाल पर जब पद्मश्री अवार्डी विख्यात आर्टिस्ट महावीर गुड्ड ने अपनी प्रस्तुति दी तो पूरा मेला परिसर हरियाणवी सांस्कृतिक रंग से सराबोर हो गया।
गौरतलब है कि मेला परिसर में 23 फरवरी तक रोजाना मुख्य चौपाल व अन्य सांस्कृतिक मंचों पर देश-विदेश के प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां देते हुए मेले को शोभायमान किया जा रहा है। पर्यटन निगम व कला एवं सांस्कृतिक विभाग हरियाणा की तरफ से प्रतिदिन शाम के समय सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का बेहतरीन आयोजन किया जा रहा है। हर संध्या पर देश के जाने-माने कलाकार अपनी गायकी के जादू से दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को सांस्कृतिक संध्या में हरियाणा के प्रसिद्ध लोक कलाकार पद्मश्री महावीर गुड्डू ने बड़ी चौपाल पर हरियाणवी संस्कृति पर आधारित गायकी से देर रात तक दर्शकों का मनोरंजन किया।
सूरजकुंड मेले की सांस्कृतिक संध्या में जब लोक कलाकार महावीर गुड्डू ने ‘सुण ले मेरा ठिकाणा… इस भारत में हरियाणा’ गीत गाकर वहां उपस्थित लोगों में जोश भर दिया। इसके अलावा बल्लभगढ़ के महान क्रांतिकारी राजा नाहर सिंह की वीरगाथा पर आधारित सन 1858 की हम 9 जनवरी भूले ना को गीत के माध्यम से सुनाया तो पंडाल में सभी दर्शक महान क्रांतिकारी को याद कर भावुक हो गए। इसी क्रम में उन्होंने देशभक्ति से ओतप्रोत गीत व रागनियां गाईं, जिनमें भगत सिंह कदै जी घबरा ज्या तेरा बंद मकान में, मेरा रंग दे बसंती चोला आदि से देशभक्ति का जज्बा भर दिया।
इसी तरह कलाकार महावीर गुड्डू और उनकी टीम ने हरियाणवी संस्कृति पर आधारित गायकी का जादू पंडाल में बिखेरा। इनमें चंदन की मेरी पाटरी, पानी आली पानी पिया दे, क्यूं ठाके ढोल खड़ी हो गी.., तू राजा की राज दुलारी में कुंडी सोटे आला सूं और आजा गौरी बैठ जीप में… मेरी जीप रोड की रानी आदि गीत गाकर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। उन्होंने बिना किसी अंतराल के दो घंटे से भी अधिक समय तक निरंतर प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में उनकी टीम द्वारा हरियाणवी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।