Madhya Pradesh, State

हर घर नल से जल: जल जीवन मिशन से गांवों में आई मुस्कान, स्वास्थ्य, सम्मान और स्थायित्व की नई धारा

भोपाल
गांवों की सुबह अब बदल गई है। बाल्टी लेकर दूर-दूर तक पानी लाने का संघर्ष बीते दिनों की बात हो चुकी है। अब घर के आंगन में नल से गिरता पानी केवल सुविधा नहीं, बल्कि गरिमा, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुआ जल जीवन मिशन आज ग्रामीण भारत की तस्वीर को जमीनी स्तर पर बदल रहा है और मध्यप्रदेश इसमें एक मिसाल बनकर उभरा है।

बालाघाट जिले ने 96 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाकर यह सिद्ध कर दिया है कि सुनियोजित प्रयासों से हर घर तक शुद्ध पेयजल सुनिश्चित किया जा सकता है। इस मिशन के चलते वहां के गांवों में अब बीमारियों का बोझ घटा है, महिलाएं और बच्चियां राहत महसूस कर रही हैं और लोगों को स्वच्छ जीवन की आदतें सहजता से अपनाने का अवसर मिला है। इसी दिशा में हरदा जिले ने भी 96 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों को इस योजना से जोड़ते हुए गांवों में स्वास्थ्य, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की एक नई लकीर खींच दी है।

इंदौर जिले ने तो लगभग सम्पूर्ण लक्ष्य प्राप्त करते हुए 99.94 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को नल जल सुविधा से जोड़ दिया है। इंदौर जैसे जिले, जहां शहरी चमक के साथ ग्रामीण विस्तार भी मौजूद है, वहां यह कार्यक्षमता दिखाना साबित करता है कि यह योजना हर क्षेत्र में समान रूप से कारगर हो रही है। दूसरी ओर नर्मदापुरम जिले ने भी 84प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन देकर साफ किया है कि वह भी इस परिवर्तन का सक्रिय भागीदार है और यहां की ग्राम पंचायतों ने जनसहभागिता से जल पहुंच को आसान और प्रभावशाली बनाया है।

इस बदलाव ने न केवल स्वास्थ्य के स्तर को ऊंचा उठाया है, बल्कि सामाजिक ढांचे में भी सकारात्मक हस्तक्षेप किया है। शुद्ध, सुलभ, घर-घर पहुंचता पेयजल अब डायरिया, टायफाइड, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों को जड़ों से समाप्त कर रहा है। शौचालयों का उपयोग बढ़ा है, स्वच्छता की आदतें मज़बूत हुई हैं और बच्चों की स्कूल में उपस्थिति बेहतर हुई है। महिलाएं अब घर से बाहर निकलकर कृषि, शिक्षा और छोटे व्यवसायों में सक्रिय हो रही हैं, क्योंकि उनका कीमती समय पानी के लिए नहीं बल्कि प्रगति के लिए व्यतीत हो रहा है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने इस मिशन की सफलता को धरातल तक पहुंचाने में सशक्त भूमिका निभाई है। उनकी सतत निगरानी, जिलों में की गई यात्राएं और जनप्रतिनिधियों से संवाद ने यह सुनिश्चित किया है कि यह योजना कागज़ पर नहीं, बल्कि धरातल पर उतर रही है। उनके मार्गदर्शन में मिशन को न केवल रफ्तार मिली है, बल्कि यह एक जन आंदोलन का स्वरूप भी ले चुका है।

हर घर नल से जल अब केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की जीवन का एक ऐसा अभिन्न भाग बन गया है जो स्वास्थ्य, स्वच्छता, आत्मनिर्भरता और समानता के पक्ष को मजबूत कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *