बीकानेर
शहर के जयनारायण व्यास कॉलोनी और कोतवाली थाना क्षेत्र में लगातार चार दिन तक महिलाओं के साथ बैग स्नैचिंग की घटनाओं से सनसनी फैल गई थी लेकिन पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए आखिरकार इस शातिर झपटमार को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी की पहचान उस्तां बारी निवासी 20 वर्षीय मोहित पुरी पुत्र अशोक पुरी के रूप में हुई है।
कोटगेट थानाधिकारी विश्वजीत सिंह और हेड कांस्टेबल हेतराम विश्नोई की टीम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। तकनीकी सहायता और सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपी को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी ने पहली घटना पवनपुरी क्षेत्र में पीबीएम अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. खुशाली के साथ की। दूसरी वारदात गुडविल आई हॉस्पिटल के सामने, तीसरी जयपुर रोड पर और चौथी घटना कोतवाली थाना क्षेत्र के जेल रोड टंकी के पास नीलम सोनी के साथ हुई। नीलम त्यागी वाटिका स्थित अपने पीहर से भाई के साथ लौट रही थीं, तभी आरोपी ने झपट्टा मारा और बैग लेकर फरार हो गया। इस दौरान महिला बाइक से नीचे गिर गई और उन्हें मामूली चोटें आईं।
जेल रोड की घटना के बाद मौके पर पहुंचे सीओ सिटी श्रवण दास संत ने हेड कांस्टेबल हेतराम विश्नोई को स्पष्ट निर्देश दिए कि आरोपी को 24 घंटे में गिरफ्तार किया जाए। इसके बाद कोटगेट पुलिस ने हर वारदात स्थल का निरीक्षण कर सीसीटीवी फुटेज खंगाले। जांच में सामने आया कि आरोपी सुजुकी जिक्सर बाइक पर सवार था। बाइक के नंबर और तकनीकी सर्विलांस की मदद से उसकी लोकेशन ट्रेस कर यह गिरफ्तारी की गई।
कोतवाली थाना क्षेत्र में आरोपी ने नीलम सोनी के बैग से करीब 250 ग्राम चांदी के जेवरात और 15 हजार रुपये नकद चुराए थे। आरोपी ने इनमें से दो-तीन हजार रुपये खर्च भी कर दिए थे, बाकी नकदी और चांदी बरामद कर ली गई है। डॉ. खुशाली के बैग में मौजूद दो मोबाइलों में से एक सैमसंग फोन डर के मारे आरोपी ने फेंक दिया था, जिसे पुलिस ने बाद में बरामद कर लिया।
आरोपी मोहित महंगी बाइक पर टशन में वारदात को अंजाम देता था। रात के अंधेरे में वह पहले रेकी करता और फिर सतर्कता के साथ एक ही वारदात को अंजाम देता। उसने चार दिन में चार वारदातें कीं और हर बार सावधानी बरती कि पकड़ा न जाए लेकिन पुलिस की तकनीकी पकड़ और त्वरित कार्रवाई ने उसकी 'फिल्मी योजना' को नाकाम कर दिया। पुलिस के अनुसार आरोपी बेहद शातिर है। यदि समय रहते उसे नहीं पकड़ा जाता तो वह और भी वारदातें कर सकता था। इस मामले में हेड कांस्टेबल हेतराम विश्नोई की भूमिका विशेष रूप से सराहनीय रही।