Madhya Pradesh, State

उच्च शिक्षा विभाग की पहल सभी विद्यार्थियों को संविधान की जानकारी देना, अब पढ़ेंगे संविधान

भोपाल

मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने स्नातकोत्तर (Post Graduation) के सभी विद्यार्थियों के लिए संविधान (Constitution), मानवीय मूल्य (Human Values) और नैतिक शिक्षा (Ethics Education) की पढ़ाई जरूरी कर दी गई है। पहले यह विषय केवल आर्ट डिपार्टमेंट के छात्रों तक सीमित था।

लेकिन अब विज्ञान, गणित और वाणिज्य (Science, Mathematics and Commerce) सहित सभी डिपार्टमेंट के विद्यार्थियों को इसे पढ़ना जरूरी कर दिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी करते हुए इसे सत्र 2025-26 से लागू करने का निर्णय लिया है।

बता दें कि नई अधिसूचना के बाद विज्ञान, गणित और वाणिज्य संकाय वालों को भी संविधान का पाठ पढ़ना होगा. संविधान, मानवीय मूल्य और नैतिक शिक्षा को वैल्यू एडेड पाठ्यक्रम के तौर पर एक अलग प्रश्न पत्र में शामिल किया जा रहा है.

अधिकारियों की मानें तो विस्तृत संविधान का कितना हिस्सा और उसका कौन सा प्रविधान पढ़ाया जाएगा यह अध्ययन मंडल बाद में तय करेगा. अध्ययन मंडल इन तीनों विषयों को मिलाकर कर एक पाठ्यक्रम तैयार करेगा.

संविधान का सिलेबस कैसे लागू होगा

    यह नया वैल्यू एडेड सिलेबस (Value-Added Course) पोस्टग्रेजुएट के दूसरे या चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। अगर कोई छात्र एक वर्ष का पीजी प्रोग्राम कर रहा है , तो उसे दूसरे सेमेस्टर में यह सिलेबस पढ़ाया जाएगा, जबकि दो वर्षीय कार्यक्रम करने वाले छात्रों को इसे चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा।

    सिलेबस दो क्रेडिट डिजिट्स का होगा और इसमें पास होना अनिवार्य किया गया है। विषय की ब्रॉड आउटलाइन और पाठ्यविषय अध्ययन मंडल (Curriculum Study Board) के तहत तय किया जाएगा।

तीनों विषयों को मिलाकर एक पाठ्यक्रम तैयार होगा

अधिकारियों का कहना है कि विस्तृत संविधान का कितना हिस्सा और उसका कौन सा प्रविधान पढ़ाया जाएगा यह अध्ययन मंडल बाद में तय करेगा। अध्ययन मंडल इन तीनों विषयों को मिलाकर कर एक पाठ्यक्रम तैयार करेगा।

इस अधिसूचना के अनुसार स्नातकोत्तर चार सेमेस्टर का होगा। संविधान वाले वैल्यू एडेड विषय को दूसरे अथवा चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। ऐसा इसलिए कि अगर कोई विद्यार्थी एक वर्ष का स्नातकोत्तर करता है तो उसे भी यह पढ़ा दिया जाए। दो वर्ष पढ़ाई का विकल्प चुनने वालों को यह चौथे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। यह पाठ्यक्रम दो क्रेडिट अंक का होगा, जिसमें विद्यार्थियों के लिए उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा।
पीजी में मूल्यांकन प्रणाली में भी बदलाव

स्नातकोत्तर कक्षाओं में मूल्यांकन प्रणाली बदली जाएगी। अब 60 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा और 40 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन से मिलेंगे। दोनों में न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक पाना जरूरी होगा। प्रोजेक्ट, सेमिनार या लघु शोध प्रबंध में फेल होने पर दो सेमेस्टर में दोबारा मौका मिलेगा। अभी तक 85 प्रतिशत अंक मुख्य परीक्षा और 15 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन पर मिलते थे।

अप्रैजल सिस्टम में भी बदलाव

नई सिस्टम के मुताबिक, पोस्टग्रेजुएट स्तर पर अब कुल डिजिट्स में से 60% अंक लिखित परीक्षा (Written Examination) और 40% अंक आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) के आधार पर दिए जाएंगे। दोनों में न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक अर्जित करना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त, अगर कोई छात्र प्रोजेक्ट, सेमिनार या डिसर्टेशन में असफल होता है, तो उसे दो सेमेस्टरों के भीतर फिर से अवसर मिलेगा। कर्रेंटली रेटेड 85% मुख्य परीक्षा और 15% आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर किया जाता है।

इसका उद्देश्य केया है

अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग अनुपम राजन के मुताबिक, इस फैसले का उद्देश्य विद्यार्थियों को संविधान की व्यापक जानकारी देना और उनमें ह्यूमन वैल्यूज और नैतिक शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इससे सभी फैकल्टीज के छात्रों में समान रूप से संवैधानिक समझ और सामाजिक जिम्मेदारी का विकास होगा।

क्या है हमारा भारतीय संविधान

भारतीय संविधान (Indian Constitution) हमारे देश का सबसे बड़ा कानून है, जो यह बताता है कि देश कैसे चलेगा। इसमें लिखा है कि, सरकार कैसे काम करेगी और हर नागरिक के क्या अधिकार और कर्तव्य हैं। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।

इसमें लोकतंत्र, समानता, आजादी और धर्मनिरपेक्षता जैसे बड़े सिद्धांतों को जगह दी गई है। इसमें सरकार के तीन हिस्से — संसद, सरकार और अदालत — के काम भी बताए गए हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जो सबको बराबरी का हक देता है।

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