भोपाल
भोपाल के रेडक्लिफ स्कूल में तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था. अब इस मामले में जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने स्कूल की मान्यता सत्र 2025-26 से रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं.
इस फैसले के बाद स्कूल में पढ़ने वाले छात्र अब स्वयं के खर्चे पर शासकीय या किसी अन्य निजी स्कूल में दाखिला ले सकेंगे. यह कार्रवाई उस जघन्य घटना के बाद हुई है, जिसमें 19 सितंबर 2024 को स्कूल के आईटी टीचर ने साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था.
आदेश में कहा गया है कि स्कूल सत्र 2025-26 से शाला का संचालन नहीं कर सकेगा। ऐसे में यहां पहले से पढ़ने वाले बच्चे सरकारी या अन्य प्राइवेट स्कूल में एडमिशन ले सकते हैं। आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों को अन्य सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाया जा सकेगा, जबकि अन्य छात्र-छात्राएं स्वयं के व्यय पर दूसरे स्कूल में प्रवेश ले सकते हैं।
स्कूल की मान्यता सत्र 2025-26 से रद्द
घटना के सामने आते ही पूरे शहर में गुस्से का माहौल बन गया था. हिंदू संगठनों ने इस घटना के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और स्कूल परिसर में तोड़फोड़ भी की थी. प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की और स्कूल की लापरवाही को लेकर यह सख्त फैसला लिया गया.
स्कूल में तीन साल की मासूम से हुआ था रेप
कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए यह जरूरी कदम है. अभिभावकों से अपील की गई है कि वे समय रहते अपने बच्चों के लिए वैकल्पिक स्कूल का चयन कर लें ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो.
324 बच्चों का भविष्य दूसरे स्कूलों में संवरेगा बता दें कि इस स्कूल में कुल 324 बच्चे पढ़ते हैं। पिछले साल सितंबर में स्कूल के टीचर ने ही 3 साल की बच्ची से रेप किया था। इस मामले में हंगामे के बाद स्कूल को सील कर दिया गया था। 6 सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर सिंह ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि स्कूल का संचालन डीईओ करें।
जांच के लिए दो टीमें बनाई गई थीं। पहली जांच रिपोर्ट में बच्चियों की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई थी। वहीं, दूसरी 7 सदस्यीय कमेटी ने स्कूल के संचालन को लेकर अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को दी थी।
इसके बाद भोपाल में पहली बार किसी प्राइवेट स्कूल की कमान सरकारी हाथ में ली गई थी। संकुल प्राचार्य को संचालन की व्यवस्था सौंपी गई थी। इसके बाद स्कूल खोल दिया गया था, लेकिन अब संचालन नहीं होगा। स्कूल को कक्षा पहली से 8वीं की मान्यता नहीं दी गई है।
79 बच्चों का दाखिला आरटीई से स्कूल में कुल 324 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 79 ऐसे हैं, जिनका आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के जरिए एडमिशन हुआ है। बीच सत्र में स्कूल बंद होने से सभी बच्चों को परेशानी हो सकती थी। उनका एक साल बिगड़ जाता। दूसरी ओर, जब बच्ची के साथ गलत हरकत हुई, तब स्कूल खुले पांच महीने हो चुके थे। यानी, आधा शिक्षा सत्र। ऐसे में बच्चों का कहीं एडमिशन भी नहीं हो सकता था। प्रशासन यदि स्कूल को बंद रखता तो बच्चों का एक साल खराब हो जाता। इसलिए स्कूल का संचालन सरकार ने खुद ही किया।