Rajasthan, State

डॉक्टर से आईएएस बानी सौम्या ने यूं पूरा किया सफर

टोंक

राजस्थान में इन दिनों टोंक की कलेक्टर डाॅ.सौम्या झा काफी सुर्खियों में है। यंग आईएएस होने के साथ सौम्या युवाओं में काफी लोकप्रिय हो गई है। यूपीएससी की तैयारी करने वाले युवा आईएएस सौम्या झा को अपना आईकॉन के तौर पर देखने लगे है। इस बीच डाॅ. सौम्या झा कैसे यूपीएससी को क्लीयर करके आईएएस सिलेक्ट हुई, इसको लेकर उन्होंने पूरा सफर 'नवभारत टाइम्स' से खास बातचीत के दौरान साझा किया। डाॅ. सौम्या अपने आईएएस बनने के पीछे पिता की प्रेरणा को सबसे महत्वपूर्ण मानती हैं।

मैं भी अपने पिता की तरह बनना चाहती थी- डाॅ. सौम्या झा
आईएएस सौम्या झा ने बताया कि उनके पिता संजय कुमार झा मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं। जिनका पिछले साल ही डीजी रैंक से रिटायरमेंट हुआ है। डॉ. सौम्या ने बताया कि बचपन में वह अपने पिता को वर्दी में देखती थी, उन्हें काफी अच्छा महसूस होता था, उनके मन में भी होता था कि वह भी बड़ी होकर अपने पिता की तरह अफसर बनकर लोगों की सेवा करें। इसके बाद ही उन्होंने यूपीएससी को पास करने का निश्चिय बना लिया। इसके लिए वह कड़ी मेहनत के साथ जुट गईं।

सौम्या ने पिता की तरह बनने की चाह में छोड़ी डॉक्टरी
डाॅ. सौम्या झा ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही अफसर बनने की ठान ली थी, जिसकी उन्होंने अपने पिता को देखकर प्रेरणा ली। उन्होंने बताया कि 2010 में उनका सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए हुआ। इसके बाद 2015 में उनकी इंटर्नशिप पूरी हुई। इस बीच उन्होंने 2016 में यूपीएससी का एग्जाम दिया, जहां उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी को क्रेक कर लिया। इस दौरान डाॅ. सौम्या झा ने यूपीएससी में 58वीं रैंक हासिल की। 2017 बैच की आईएएस अधिकारी सौम्या झा का जन्म भी मध्य प्रदेश में हुआ था।

गणित की जटिलता को देखकर टोंक में किया नवाचार
टोंक कलेक्टर सौम्या झा ने हाल ही में 10वीं क्लास में गणित विषय को लेकर एक नवाचार किया है। इसके तहत उन्होंने 'पढ़ाई विद एआई' शुरू किया है। इसमें पोर्टल के माध्यम से बच्चे गणित के सवालों को बड़ी आसानी से सॉल्व करके समझ पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट लाइफ के दौरान भी उन्हें गणित में कठिनाई महसूस होती थी। टोंक में स्कूलों के निरीक्षण के दौरान उनके सामने बच्चों की गणित विषय की कमजोरी सामने आई। इसके बाद उन्होंने अपने स्टूडेंट लाइफ की इस जटिलता को दसवीं क्लास के बच्चों से जोड़ते हुए यह नवाचार किया। जिसके जिले में बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार के पास भेजा जा रहा है। जहां से मंजूरी मिली, तो इस प्रोजेक्ट को रोल मॉडल के रूप में सरकार मंजूरी दे सकती है।

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