जयपुर
शासन सचिव पशुपालन, गोपालन और मत्स्य डॉ. समित शर्मा ने कहा है कि राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य मार्गों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर खुले में विचरण कर रहे निराश्रित पशुधन के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। अनेक बार इससे व्यक्तियों को चोट लगती है अथवा मृत्यु भी हो जाती है। कई बार पशु भी घायल होते हैं या उनकी मौत हो जाती है। यह एक गंभीर समस्या है। इस समस्या को दूर करने के लिए ऐसे पशुधन को सुरक्षित स्थानों में नियमानुसार स्थानांतरित करना बहुत आवश्यक है। इससे सड़कों पर सुरक्षा बढ़ने के साथ साथ राजमार्गो और सड़कों पर आवागमन में भी सुविधा होगी। डॉ शर्मा ने इस संबंध में राज्य के समस्त जिला कलक्टर को पत्र लिखकर संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर इस समस्या के निदान के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
डॉ शर्मा ने बताया कि इन निराश्रित अथवा बेसहारा पशुधन की समस्या के समाधान के लिए स्वायत्त शासन विभाग, पंचायती राज विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, पशुपालन एवं गोपालन विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस/ यातायात विभाग, स्थानीय प्रबुद्ध समाज एवं स्वयंसेवी संगठनों आदि की भूमिका सुनिश्चित की गई है। जिला कलक्टर्स को पत्र में जिला स्तर पर संबंधित विभागों और संस्थाओं से समन्वय स्थापित कर कार्य करवाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि जिले में आवश्यकतानुसार विशेष पशुधन संरक्षण अभियान चलाकर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए निराश्रित पशुधन को यथासंभव पुनर्वासित करवाएं, संबंधित विभागों की संयुक्त बैठक आयोजित करवाकर विभागों के बीच समन्वय स्थापित करते हुए उनके बीच आ रही परेशानियों को दूर करें और जिले के पशु प्रेमी, गौ प्रेमी, भामाशाहों, दानदाताओं, सीएसआर आदि के माध्यम से निराश्रित पशुओं के रेडियम बेल्ट अथवा कॉलर लगवाए जाने हेतु प्ररित करें। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को राष्ट्रीय पर्व पर राज्य, जिला और उपखण्ड स्तर पर सम्मानित भी करना चाहिए।
डॉ शर्मा ने कहा कि सभी विभाग नियमानुसार अपनी अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए निराश्रित पशुओं के रेडियम कॉलर अथवा बेल्ट लगाएं और उन्हें नजदीक के किसी सुरक्षित स्थान या आश्रय स्थल में स्थानांतरित कर समस्या के समाधान में अपना सहयोग दें जिससे आम जन को इस समस्या से निजात मिल सके और आमजन और पशुधन की हानि को रोका जा सके।
शासन सचिव ने बताया कि इन निराश्रित पशुओं को नजदीक के राजकीय सहायता प्राप्त गौशालाओं, कांजी हाउस, नंदी शालाओं तथा अन्य किसी आश्रय स्थल पर स्थानांतरित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राजकीय सहायता प्राप्त गौशालाओं द्वारा उसकी कुल क्षमता का कम से कम 10 प्रतिशत निराश्रित पशुधन आवश्यक रूप से स्वीकार करना होगा। अगर किसी गौशाला द्वारा ऐसा करने से मना किया जाता है तो इसकी लिखित सूचना संबंधित संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग को देनी होगी। गौशाला के एक बार मना करने पर एक माह का, दूसरी बार मना करने पर दो माह का और तीसरी बार मना करने पर उस गौशाला को आगामी एक वर्ष तक सहायता राशि से वंचित रखने की कार्यवाही की जाएगी।
डॉ शर्मा ने बताया कि गौशाला में स्थानांतरित निराश्रित गौवंश के भरण पोषण के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर बड़े और छोटे गौवंश के लिए नियमानुसार सहायता राशि देय होगी। उन्होंने निर्देश दिया कि इन गौशालाओं में निराश्रित गौवंश के लिए अलग से रजिस्टर का संधारण किया जाए और रोगग्रस्त तथा दुर्घटनाग्रस्त गौवंश को तत्काल सुविधा एवं समुचित दवाइयां और फीड सप्लीमेंट आदि उपलब्ध करवाया जाए। डॉ शर्मा ने सभी जिला कलेक्टर्स से आग्रह किया है कि सभी संबंधित विभागों में आपसी समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित करें जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके और यातायात सुचारू रूप से निर्बाधित चल सके।