हजारीबाग
जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हुए आईईडी ब्लास्ट में दो जवान शहीद हो गए। कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी और नायक मुकेश सिंह मनहास दोनों की अप्रैल में शादी होने वाली थी। दोनों के परिवार शादी की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। यह घटनादोपहर की है। दोनों जवान एलओसी के पास पेट्रोलिंग पर थे, तभी आतंकवादियों ने हमला कर दिया। इस घटना ने दो परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया।
झारखंड के हजारीबाग में कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का परिवार शादी की तैयारियों में व्यस्त था। दस दिन पहले ही करमजीत घर आए थे। उन्होंने अपनी सगाई की खबर सुनाई थी। उनकी मंगेतर आर्मी मेडिकल कोर की डॉक्टर हैं। 5 अप्रैल को उनकी शादी होनी थी। उनके पिता अजिंदर सिंह बक्शी, जो एक रेस्टोरेंट चलाते हैं, घर की मरम्मत करवा रहे थे। मां नीलू बक्शी शादी का सामान इकट्ठा कर रही थीं। करमजीत उनके इकलौते बेटे थे। अब बारातियों की जगह घर में मातम छाया है। दुल्हन की जगह तिरंगे में लिपटा हुआ उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा। उनके चाचा देविंदर सिंह ने बताया कि वह केवल पाँच साल से सेना में थे। उनके आगे पूरा जीवन पड़ा था। करमजीत पंजाब रेजिमेंटल सेंटर से जुड़े थे।
20-21 अप्रैल को होनी थी शादी
वहीं सांबा के सीमावर्ती गांव बड़ी कामिला में भी एक और परिवार शादी की खुशियों में डूबा था। नायक मुकेश सिंह मनहास ने अपनी आखिरी छुट्टी अपने नए बने घर को अंतिम रूप देने में बिताई थी। यह घर उनकी होने वाली पत्नी के लिए था, जिनसे उनकी शादी अप्रैल में होनी थी। 28 जनवरी को वह ड्यूटी पर वापस गए थे और 20-21 अप्रैल को उनकी शादी की तारीख तय हो गई थी। उनके पिता छगतर सिंह जो एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी हैं अपने बेटे की यादों में खो गए हैं।
छोटा भाई भी सेना में
मुकेश ने एक दशक से भी ज्यादा समय तक सेना में सेवा की थी। उन्होंने सियाचिन की बर्फीली हवाओं, कश्मीर की अशांति और पंजाब की सीमा पर अपनी ड्यूटी निभाई थी। उनके पिता ने बताया कि गांव के युवा मुकेश को अपना आदर्श मानते थे। वह उन्हें खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करते थे, यहां तक कि उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल किट भी देते थे। मुकेश 2014 में सेना में भर्ती हुए थे। उनके छोटे भाई भी सेना में हैं और हमेशा मुकेश को अपना आदर्श मानते थे।