Madhya Pradesh, State

नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नीति की तैयार, नीति को 11 फरवरी को मिल सकती है मंजूरी

 भोपाल
मध्य प्रदेश में शहरों के आसपास किसान, किसानों के समूह या निजी व्यक्ति लैंड पुलिंग करके टाउनशिप बना सकेंगे यानी यदि उनके पास एकीकृत टाउनशिप बनाने के लिए आवश्यक भूमि नहीं है तो वे आसपास के किसान या निजी भूमि को मिलाकर परियोजना बनाएंगे।

इसके लिए भूमि दिलाने के लिए डेवलपर या विकासकर्ता विकास प्राधिकरण या अन्य एजेंसियों से अनुरोध कर सकेंगे। वह आपसी सहमति के आधार पर भूमि दिलाने में भूमिका निभाएगी। यदि परियोजना क्षेत्र में सरकारी भूमि आती है तो अधिकतम आठ हेक्टेयर सीमा की छूट दी जा सकेगी।

टाउनशिप नीति तैयार की

इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने एकीकृत टाउनशिप नीति तैयार की है। इसमें लैंड पुलिंग का प्रावधान रखा गया है। नियम सरल बनाए गए हैं। यह प्रावधान विकास प्राधिकरण सहित अन्य हाउसिंग प्रोजेक्ट करने वाली एजेंसियों के लिए भी लागू होंगे। प्रस्तावित नीति पर अंतिम निर्णय 11 फरवरी को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में होगा।

सुविधाओं का विकास नहीं हो पाता

अभी कॉलोनाइजर नियम में कॉलोनी बनाने के लिए न्यूनतम क्षेत्र की कोई आवश्यकता नहीं है इसलिए शहरों में छोटे-छोटे समूहों में कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है, लेकिन इसमें सुविधाओं का विकास नहीं हो पाता है। इसके लिए एकीकृत टाउनशिप नीति तैयार की गई है।

एक निश्चित स्थान पर कॉलोनी बनेगी

इसमें नगर निगम सीमा या योजना क्षेत्र के भीतर पांच लाख से कम जनसंख्या वाले शहर में न्यूनतम दस हेक्टेयर में कॉलोनी का विकास किया जाएगा। पांच लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर में भूमि की यह सीमा दस हेक्टेयर और नगर निकाय सीमा या उसके बाहर न्यूनतम 40 हेक्टेयर रहेगी। इसका मतलब यह हुआ कि अब छोटे-छोटे समूह के स्थान पर एक निश्चित क्षेत्र में कॉलोनी बनेगी।

परियोजना क्षेत्र निर्धारित होगा

इसके लिए किसान या निजी व्यक्ति के पास आवश्यकता के अनुरूप भूमि नहीं है तो वह समूह बनाकर काम करेगा। लैंड पुलिंग करके परियोजना क्षेत्र निर्धारित होगा। डेवलपर प्रस्तावित टाउनशिप की सीमा के अंदर 80 प्रतिशत भूमि प्राप्त कर चुका है और शेष भूमि प्राप्त करने में विफल रहता है तो वो संबंधित प्राधिकरण से भूमि अधिग्रहित करने का अनुरोध करेगा।

सीमा में छूट दी जाएगी

आपसी सहमति के आधार पर भूमि की व्यवस्था कराई जाएगी। सरकारी भूमि के परियोजना क्षेत्र में आने पर अधिकतम आठ हेक्टेयर तक छूट दी जा सकती है। कृषि भूमि खरीदने पर उच्चतम जोत सीमा में छूट दी जाएगी क्योंकि भूमि उद्देश्य विशेष के लिए ली जा रही है।

50 प्रतिशत का उपयोग जनसुविधा के लिए

स्टांप ड्यूटी और अतिरिक्त फ्लोर रेशियो एरिया में छूट दी जाएगी। इसके साथ ही विकास प्राधिकरण या अन्य निर्माण एजेंसी अधिग्रहित की गई जमीन में से 50 प्रतिशत का उपयोग जनसुविधा के लिए कर सकेंगी।

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