Madhya Pradesh, State

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने जंतर-मंतर पर वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ चल रहे धरने को गैरजरूरी करार दिया

भोपाल

मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने जंतर-मंतर पर वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ चल रहे धरने को गैरजरूरी करार दिया है. उन्होंने कहा कि हर किसी को अपना मत रखने का अधिकार है, लेकिन इस प्रदर्शन की कोई जरूरत नहीं है. पटेल ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि पार्टी समाज को गुमराह और बांटने में माहिर है, जो कि वह बरसों से करती आ रही है और अब भी पर्दे के पीछे से ऐसा प्रयास कर रही है.

सनवर पटेल ने कहा, "जंतर-मंतर पर वक्फ बिल को लेकर जो प्रदर्शन हो रहा है, उसकी कोई जरूरत नहीं है. जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) में जो संशोधन प्रस्तावित हैं, वे अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुए हैं. फिर भी लोगों को डराने का काम किया जा रहा है कि वक्फ की संपत्ति पर कब्जा हो जाएगा. सच यह है कि अगर वक्फ की संपत्ति वैधानिक है, तो एक इंच भी संपत्ति कोई नहीं ले सकता. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि 'Once Waqf is always Waqf'."

कांग्रेस पर तीखा प्रहार
उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, "समाज को गुमराह करना और समाज को बांटने में कांग्रेस को महारथ हासिल है. यह पार्टी बरसों से ऐसा करती आ रही है और आज भी पर्दे के पीछे से इस काम को अंजाम देने की कोशिश कर रही है." पटेल ने दावा किया कि वक्फ बिल से गरीबों को लाभ होगा, जो अब तक इस व्यवस्था से वंचित रहे हैं.

गरीबों और कब्जाधारियों पर टिप्पणी
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने कहा, "इस बिल से हमारे समाज के गरीब लोगों को लाभ मिलेगा, जो अब तक इस व्यवस्था से अछूते रहे हैं. लेकिन जिनके पेट में दर्द हो रहा है, उन लोगों ने बड़ी-बड़ी संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है और गरीबों को लाभ नहीं मिलने दिया. ऐसे करीब 95% लोग हमारे ही समाज से हैं." उन्होंने जोर देकर कहा कि वैधानिक वक्फ संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित रहेगी और कोई भी उस पर अतिक्रमण नहीं कर सकता.

माहौल और आगे की राह
पटेल के बयान के बाद इस मुद्दे पर सियासी बहस और तेज हो गई है. जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों द्वारा आयोजित धरना आज भी जारी है, जहां वक्फ संशोधन बिल को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है.

दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड अध्यक्ष पटेल का यह बयान सरकार के रुख का समर्थन करता नजर आ रहा है, जो बिल को पारदर्शिता और गरीबों के कल्याण से जोड़ रही है. अब यह देखना होगा कि जेपीसी की रिपोर्ट और बिल पर आगे की कार्रवाई कैसे होती है.

 

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