भोपाल
भारत समेत दुनियाभर में ‘जलपुरूष’ के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह आज यानी 1 मई को भोपाल प्रवास पर रहेंगे। इन्होंने 12 नदियों को पुनर्जीवित किया, जल संरक्षण के लिए 60 देशों की यात्रा की। यहां तक कि राजेन्द्र सिंह ने सरकारी नौकरी छोड़ अपना जीवन जल संरक्षण के कार्यों में लगा दिया। इनके प्रयासों के ही कारण देशभर में अरवरी, रुपारेल, सरसा, भगानी, महेश्वरा, साबी, तबिरा, सैरनी, जहाजवाली, अग्रणी, महाकाली व इचनहल्ला समेत 12 नदियों को नया जीवन मिला।
बता दें कि राजेंद्र सिंह को जल संचयन और जल प्रबंधन में समुदाय-आधारित प्रयासों में अग्रणी कार्य के लिए 2001 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1 मई को राजेन्द्र सिंह राजधानी भोपाल में रहेंगे। सुबह साढ़े दस बजे मानस भवन श्यामला हिल्स में राजेन्द्र सिंह ,”जल संसाधन, संरक्षण और संवर्धन पर व्याख्यान देंगे।
ऐसे हुई बड़ी शुरूआत
बता दें कि 1975 में राजेंद्र सिंह ने राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में अग्निकांड पीड़ितों की सेवा के लिए ‘तरुण भारत संघ’ की स्थापना की थी। इसी दौरान जब वह अलवर के एक गांव पहुंचे तो उन्हें एक बुजुर्ग ने बड़ी चुनौती दे डाली। दरअसल बुजुर्ग ने उनसे कहा कि अगर गांव का इतना ही विकास करना है तो बातें छोड़ गेंती और फावड़ा पकड़ो। हम लोगों की मदद ही करनी है तो गांव में पानी लाओ। राजेंद्र सिंह(Waterman Rajendra Singh) ने यह चुनौती स्वीकार कर ली और अपने दोस्तों के साथ फावड़ा पकड़ इस काम में जुड़ गए। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि राजस्थान में 11800 जल संरचनाएं बनवाई गई। इसके साथ ही उन्होंने 60 देशों में जल संरक्षण के लिए यात्रा भी की।