मास्को डेस्क/ रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने बेहद कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। हालाँकि इसमें रूस का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग गैस और तेल पूरी तरह से शामिल नहीं है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस की अर्थव्यवस्था, बैंकिंग सिस्टम और उसकी मुद्रा पर भारी दबाव है।
रूस का कहना है कि रूस के तेल निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने से कच्चे तेल के दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकते हैं। वहीं यूरोप रूस पर गैस, कोयले और तेल निर्भरता को कम करने के लिए अलग रास्ता अपनाने की कोशिश कर रहा है।
यूरोपीय संघ फ़िलहाल अपनी ज़रूरत की आधी गैस, कोयला और तक़रीबन एक तिहाई तेल रूस से आयात करता है। रूस पर निर्भरता कम करने के लिए यूरोपीय संघ के नेता इस गुरुवार और शुक्रवार को बैठक करने जा रहे हैं।
एक बयान में यूरोपीय संघ के नेताओं ने रूस के यूक्रेन पर हमले का सीधे तौर पर ज़िक्र न करते हुए कहा है कि ‘यूरोपीय इतिहास में एक नए इतिहास बनने का दौर है। ‘ इसके तहत साल 2030 तक विकास और निवेश के नए मॉडल विकसित करने के साथ-साथ ऊर्जा की सप्लाई और रूट्स को विविध करने पर ज़ोर दिया गया है।
पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और चेतावनियों के बाद रूस ने धमकी दी है कि रूसी तेल को प्रतिबंधित करने से इसके दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं और जर्मनी के लिए मुख्य गैस पाइपलाइन बंद की जा सकती है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने कहा है कि वो और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस से तेल आयात करने पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। दुनिया भर में तेल के दाम साल 2008 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर पहुँच चुके हैं। सोमवार को कच्चे तेल के दाम 139 डॉलर प्रति बैरल पहुँच गए थे।
रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्ज़ेंडर नोवाक ने कहा है कि ‘रूसी तेल को ख़ारिज कर देने से वैश्विक बाज़ार पर इसके विनाशकारी प्रभाव पड़ेंगे। ‘ उनका कहना है कि कच्चे तेल के दाम दोगुने होकर 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकते हैं।