यूएन डेस्क/ रूस और ईरान के साथ अपने सौदों पर अमेरिकी प्रतिबंधों की संभावनाओं का सामना कर रहे भारत ने एकतरफा प्रतिबंधों पर प्रहार करते हुए वाशिंगटन द्वारा क्यूबा की आर्थिक नाकाबंदी पर वार्षिक महासभा में चली बहस का हवाला दिया है।
भारत के उपस्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने बुधवार को कहा, “बहुपक्षीयवाद में स्थायी विश्वास के साथ विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते भारत इस सभा के अपरदेशीय प्रभाव वाले घरेलू कानूनों की स्पष्ट अस्वीकृति के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है।”
साल दर साल महासभा क्यूबा पर प्रतिबंधों को हटाने के लिए वोट करती है और पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से 191 ने प्रस्ताव को वापस लेने के लिए वोट किया था। अमेरिका और इजरायल ही केवल विरोध करने वाले देशों में थे।
भारत ने क्यूबा पर प्रतिबंधों का हमेशा विरोध किया है। लाल ने कहा, “हर साल इस सभा ने अपरदेशीय प्रभाव के साथ कानून व अधिनियम को लागू करने और दुनिया भर के लोगों की प्रगति व समृद्धि को क्षति पहुंचाने वाले सभी प्रकार के प्रतिरोधी आर्थिक उपायों को खारिज किया है।”
क्यूबा पर प्रतिबंध हवाना के साथ व्यापार करने वाले भारत जैसे देशों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करते हैं। भारत और अधिकतर देश सिद्धांतों पर क्यूबा प्रतिबंधों का विरोध कर रहे हैं और आग्रह करते हैं कि घरेलू कानूनों द्वारा अन्य देशों पर अपरदेशीय प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।