वाशिंगटन डेस्क/ एक भारतीय विशेषज्ञ ने मंगलवार को कहा कि ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका की सदस्यता वाले चतुर्भुजीय विचार-विमर्श मंच से नई दिल्ली का जुड़ना एक रणनीतिक फैसला है ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की अगुवाई में चल रहे एक वैकल्पिक विमर्श में वह खुद को बेहतर तरीके से पेश कर सके।
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड अनालिसिस (आईडीएसए) के जगन्नाथ पांडा ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में एक प्रस्तुति में कहा, ‘‘चतुर्भुजीय संरचना से जुड़ने का यह अनिवार्य अर्थ नहीं है कि हिंद-प्रशांत संरचना में भारत चीन को रोकने की रणनीति में शामिल होना ही चाहता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का जुड़ना रणनीतिक और चतुर्भुज में शामिल देशों के साथ एक उदारवादी व्यवस्था के ढांचे तक नई दिल्ली की पहुंच को ठोस रूप प्रदान करने का कदम है। यह नपा-तुला रणनीतिक फैसला है ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की अगुवाई वाले वैकल्पिक विमर्श में भारत अपने आप को बेहतर स्थिति में रख सके।’’ पांडा ने कहा कि यहां असल मंशा भारत की यह इच्छा है कि वह हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा कर सके।