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म्यांमार में जुंटा शासन और विद्रोही गुटों के बीच चल रही लड़ाई में चीन को झटका लगा है। विद्रोही गुटों ने म्यांमार के दुर्लभ खनिज तत्वों पर कब्जा करते हुए इनके चीन को होने वाले व्यापार को रोक दिया है। कचीन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) के विद्रोहियों ने जुंटा को हराते हुए उत्तरी म्यांमार के कचीन में दुर्लभ खनन क्षेत्र पर कब्जा किया है। एक महत्वपूर्ण संसाधन संपन्न क्षेत्र पर नियंत्रण होना विद्रोही गुट KIA के लिए बड़ी कामयाबी है। वहीं ये घटनाक्रम जुंटा कहे जाने वाले देश की सैन्य शाशकों को झटका है।
KIA ने कचीन के खनन क्षेत्र पर कब्जा करते हुए चीन को होने वाली पवन टर्बाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले खनिजों की आपूर्ति को रोका है। इससे इन अहम खनिजों की कीमतें आसमान छू गई हैं। KIA के इस कदम का मकसद चीन पर दबाव बनाना है। चीन ने अभी तक म्यांमार की सैन्य सरकार का समर्थन किया है। चीन का म्यांमार के कचीन राज्य में दुर्लभ पृथ्वी खनन में भारी निवेश है। खनिज संपन्न होने की वजह से भारत भी इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखता है।
चीन के सामने खनिज तत्वों की कमी
कचीन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) के विद्रोहियों ने बीते साल के आखिर में उन क्षेत्रों पर कब्जा किया, जहां से बड़े पैमाने पर खनिजों निकाले जाते हैं। इससे पवन टर्बाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले खनिजों की चीन को आपूर्ति बाधित हो गई। चीनी सीमा शुल्क के आंकड़ों के अनुसार, म्यांमार से चीन को दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड और यौगिकों का आयात फरवरी में 311 मीट्रिक टन तक गिर गया है। यह पिछले साल की तुलना में 89 फीसदी कम है।
कचीनलैंड रिसर्च सेंटर के कार्यकारी निदेशक डैन सेंग लॉन का कहना है कि KIA वे दुर्लभ पृथ्वी भंडार का इस्तेमाल चीन के साथ बातचीत में दबाव बनाने के लिए करना चाहते हैं। क्षेत्र की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट का कहना है कि भारत भी इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखा रहा है, जो चीन का क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी है। 2024 के अंत में भारत ने एक सरकारी स्वामित्व वाली दुर्लभ पृथ्वी खनन और शोधन कंपनी के अधिकारियों को कचीन भेजा था।
KIA क्यों है आक्रामक
KIA म्यांमार के कई सशस्त्र समूहों में से एक है, जो जुंटा सैन्य शासन के खिलाफ लड़ रहे हैं। KIA म्यांमार का सबसे बड़ा और सबसे पुराना जातीय मिलिशिया है। कचीन ज्यादातर ईसाई हैं, उनकी बमर बौद्ध बहुसंख्यकों से शिकायतें रही हैं। म्यांमार में 2021 से चल रहे गृह युद्ध में चीन ने जुंटा का साथ दिया है। ऐसे में KIA जैसे विद्रोही गुट चीन पर दबाव बनाकर इस स्थिति को बदलने की कोशिश में हैं।