मॉस्को
रूसी रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि यूक्रेन द्वारा किए गए ड्रोन हमलों में देशभर के 5 सैन्य एयरबेस को निशाना बनाया गया, जिससे कई विमानों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, कितने विमान क्षतिग्रस्त हुए हैं, इसका सटीक आंकड़ा नहीं बताया है।
अपने बयान में रूसी रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन पर आरोप लगाया कि उसने मुरमान्स्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रयाजान और अमूर क्षेत्रों में स्थित हवाई अड्डों पर FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन से आतंकी हमला किया। मंत्रालय ने कहा कि इवानोवो, रयाजान और अमूर क्षेत्रों के सैन्य एयरबेसों पर सभी आतंकी हमलों को नाकाम कर दिया गया।
पहली बार आधिकारिक रूप से यह भी पुष्टि की गई है कि कुछ ड्रोन हमले एयरबेस के बहुत पास से ही किए गए थे। रूसी अधिकारियों के मुताबिक, मुरमान्स्क क्षेत्र के ओलेनोगोर्स्क एयरबेस और इरकुत्स्क (साइबेरिया) के स्रेद्नी एयरबेस को ट्रेलर ट्रकों की मदद से पास के इलाकों से ड्रोन लॉन्च करके निशाना बनाया गया।
यूक्रेन ने 1 जून 2025 को ऑपरेशन स्पाइडरवेब (Operation Spiderweb) से रूस के सैन्य हवाई अड्डों पर हमला किया. इस हमले में सस्ते FPV ड्रोनों का इस्तेमाल हुआ, जिन्होंने रूस के महंगे विमानों को नष्ट कर दिया. आइए आंकड़ों और लागत के साथ इस ऑपरेशन को समझते हैं.
ऑपरेशन स्पाइडरवेब का विवरण
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने 18 महीने की योजना के बाद इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. इसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं…
ड्रोन और हथियार: SBU एजेंटों ने 150 छोटे FPV ड्रोन और 300 गोला-बारूद रूस की सीमा में पहुंचाए.
हमले में ड्रोन: 116 ड्रोन ने उड़ान भरी. रूस के चार सैन्य हवाई अड्डों पर हमला किया.
रणनीति: ड्रोनों को रूसी दूरसंचार नेटवर्क के जरिए नियंत्रित किया गया. इनमें ऑटो-होमिंग तकनीक थी, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से लक्ष्य को पहचानती थी.
हमले का समय और तरीका: ड्रोन दिन में कम दूरी से हमला करने के लिए ट्रकों पर लकड़ी के ढांचों से लॉन्च किए गए. यह रूस की वायु रक्षा (S-400, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सिस्टम, सशस्त्र गश्त) के लिए हैरान करने वाली घटना थी.
सबसे बड़ा हमला: ओलेन्या हवाई अड्डे पर Tu-95 विमानों की ईंधन टंकियों पर ड्रोन हमले से कई विमान जलकर खाक हो गए.
नुकसान और प्रभाव
रूस का नुकसान: यूक्रेन ने चार हवाई अड्डों पर 41 विमानों (Tu-95, Tu-22M3, A-50) को नष्ट या क्षतिग्रस्त किया. इन विमानों की अनुमानित कीमत 2 बिलियन से 7 बिलियन डॉलर (लगभग 17,000 करोड़ से 59,000 करोड़ रुपये) थी.
यूक्रेन का नुकसान: कोई हताहत नहीं. सभी SBU एजेंट सुरक्षित यूक्रेन लौट आए.
विशेषता: यह ऑपरेशन दुनिया में अपनी तरह का पहला था, जिसमें सस्ते ड्रोनों ने इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया.
ड्रोन की लागत
प्रति ड्रोन कीमत: एक FPV ड्रोन की लागत 430 से 600 डॉलर (लगभग 36,000 से 50,000 रुपये) थी.
कुल लागत: 116 ड्रोनों की लागत 49,880 से 69,600 डॉलर (लगभग 42 लाख से 58 लाख रुपये) थी.
लागत बनाम नुकसान: 58 लाख रुपये के ड्रोनों ने 59,000 करोड़ रुपये के विमानों को नष्ट किया, जो यूक्रेन की रणनीति की सफलता दर्शाता है.
तकनीकी और रणनीतिक खासियत
AI का उपयोग: यूक्रेनी सैन्य खुफिया ने रूसी बमवर्षक विमानों को स्कैन किया. AI को प्रशिक्षित किया गया ताकि ड्रोन स्वचालित रूप से लक्ष्य को पहचानकर हमला कर सकें.
मोबाइल लॉन्च पॉइंट: ड्रोन रूस के सामरिक हवाई अड्डों के पास मोबाइल ट्रकों से लॉन्च किए गए, जिससे रूस की वायु रक्षा को चकमा देना आसान हुआ.
कम ऊंचाई: FPV ड्रोन कम ऊंचाई पर उड़ते हैं, जिससे रडार और S-400 जैसे सिस्टम उन्हें पकड़ नहीं पाए.
ऑपरेशन की सफलता के कारण
आश्चर्य: दिन में हमला करना रूस के लिए अप्रत्याशित था.
सस्ती तकनीक: कम लागत वाले ड्रोनों ने महंगे विमानों को निशाना बनाया.
AI और रणनीति: AI-आधारित ऑटो-होमिंग और मोबाइल लॉन्च पॉइंट्स ने ऑपरेशन को प्रभावी बनाया.
रूस की कमजोरी: रूस की वायु रक्षा छोटे, कम ऊंचाई वाले ड्रोनों को रोकने में असफल रही.
ऑपरेशन स्पाइडरवेब में यूक्रेन ने केवल 58 लाख रुपये के 116 FPV ड्रोनों से रूस के 59,000 करोड़ रुपये के 41 विमानों को नष्ट कर दिया. AI और चतुर रणनीति के साथ यूक्रेन ने साबित किया कि सस्ती तकनीक भी शक्तिशाली दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. यह ऑपरेशन युद्ध रणनीति में एक नया अध्याय है.
यूक्रेन का दावा- रूस के 41 विमानों को तबाह किया
यूक्रेन ने दावा किया था उसने रूस के 41 लड़ाकू विमानों को तबाह किया। यूक्रेनी वेबसाइट कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन ने रूस के मरमंस्क में ओलेन्या एयर बेस, इरकुत्स्क में बेलाया एयर बेस, इवानोवो में इवानोवो एयर बेस और डायगिलेवो एयर बेस को निशाना बनाया।
रूस का बेलाया एयरबेस यूक्रेनी सीमा से 4 हजार किमी से भी ज्यादा दूर है। यह रूस के साइबेरिया इलाके में स्थित है। रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी (SBU) ने इस हमले को अंजाम दिया, जिसमें FPV (फर्स्ट-पर्सन-व्यू) ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया। इसमें A-50, TU-95 और TU-22 जैसे स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स को निशाना बनाया गया।
SBU के एक अधिकारी ने कहा कि यह हमला उन्होंने खुद के बचाव में किया है, क्योंकि ये रूसी विमान अक्सर यूक्रेनी शहरों पर बम गिराते हैं। रूस ने इस हमले की पुष्टि की है। शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, नुकसान की लागत 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (17 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा) हो सकती है।
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब इस्तांबुल में सोमवार को शांति वार्ता होनी है और सीमा पार झड़पें तेज हो गई हैं।
रूस के पांच एयरबेस की यूक्रेन से दूरी
बेलाया एयरबेस, इरकुत्स्क ओब्लास्ट (4300 किमी दूर)
ओलेन्या एयरबेस, मुरमांस्क ओब्लास्ट (3674 किमी दूर)
डायगिलेवो एयरबेस, रियाजान ओब्लास्ट (2161 किमी दूर)
इवानोवो एयरबेस, इवानोवो ओब्लास्ट (2000 किमी दूर)
अमूर एयरबेस, अमूर ओब्लास्ट ( 6000 किलोमीटर दूर)
ओलेन्या एयरबेस में आग लगी
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (SBU) ने कहा कि उनके ड्रोन रूस के अंदर बहुत दूर तक गए और Tu-95, Tu-22 जैसे बड़े बमवर्षक विमानों और A-50 जैसे महंगे जासूसी विमानों को नुकसान पहुंचाया। A-50 विमान बहुत ही रेयर हैं, और रूस के पास ऐसे सिर्फ 10 विमान हैं। एक विमान की कीमत करीब 350 मिलियन डॉलर (3000 करोड़ रुपए) बताई जाती है।
इस हमले में 'बेलाया' नाम का एयरबेस खास तौर से निशाने पर था, जो रूस के इर्कुत्स्क क्षेत्र में है। वहीं, 'ओलेन्या' एयरबेस में भी आग लगने की खबरें आई हैं, लेकिन इसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
Tu-95 और Tu-160 जैसे विमान पुराने जरूर हैं, लेकिन ये लंबी दूरी तक उड़ सकते हैं और कई मिसाइलें ले जा सकते हैं। ये रूस की वायुसेना के सबसे ताकतवर हथियारों में गिने जाते हैं। इन्हें गिराना यूक्रेन के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
यूक्रेन बोला- रूस नहीं रुका तो और हमले करेंगे
यूक्रेनी एजेंसी ने कहा कि उन्होंने यह हमला इसलिए किया ताकि रूस की बमबारी रुक सके, क्योंकि लगभग हर रात रूसी विमान यूक्रेनी शहरों पर हमला करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस हमले से रूस को काफी नुकसान पहुंचा होगा। यूक्रेन ने यह भी कहा है कि उसके ड्रोन मिशन आगे भी जारी रहेंगे।
ओलेन्या एयरबेस रूस के मरमंस्क क्षेत्र में है। वहां के गवर्नर ने बताया कि दुश्मन के ड्रोन ने हमला किया, लेकिन उन्होंने भी ज्यादा जानकारी साझा नहीं की। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें एक ट्रक से एफपीवी ड्रोन को उड़ान भरते हुए देखा जा सकता है।
डेढ़ साल से तैयारी कर रहा था यूक्रेन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक SBU इस हमले के लिए लगभग 18 महीने से तैयारी कर रही थी। उन्होंने इस ऑपरेशन का नाम ‘स्पाइडर वेब’ रखा गया था। इस मिशन की निगरानी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की खुद कर रहे थे। वहीं, यह SBU चीफ वासिल मालियुक की देखरेख में हो रही थी।
यूक्रेनी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ड्रोन को पहले रूस में चोरी-छिपे भेजा गया और फिर उन्हें लॉरियों में रखे लकड़ी के केबिनों के नीचे छिपाया गया। जब हमला करना था, तो इन्हीं ट्रकों से ड्रोन लॉन्च किए गए।
एक्सियोस ने यूक्रेनी अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि हमले से पहले यूक्रेन ने ट्रम्प प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ऑपरेशन में कई खास चीजें शामिल थीं…
यूक्रेनी एजेंटों ने FPV ड्रोन और लकड़ी के मोबाइल केबिन को चोरी-छिपे रूस के अंदर पहुंचाया।
ये ड्रोन ट्रकों की छतों के नीचे छिपाए गए थे, जिन्हें दूर से कंट्रोल किया जा सकता था।
जब हमला शुरू हुआ, तो ट्रकों की छतें खुल गईं और कामिकाजे ड्रोन (खुद को उड़ाने वाले ड्रोन) सीधे रूसी बमवर्षक विमानों की तरफ भेजे गए