वाशिंगटन डेस्क/ अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने इस्लामिक स्टेट से संबद्ध दो समूहों और दो लोगों को विशेष रूप से नामित आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित किया है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, इन सात समूहों में से तीन आईएस-पश्चिम अफ्रीका, आईएस-फिलीपींस, आईएस-बांग्लादेश को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) घोषित किया गया है।
अमेरिकी लोगों के आमतौर पर इन समूहों के साथ लेनदेन पर प्रतिबंध रहता है और इनकी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया जाता है। इसके अलावा जानबूझकर इन समूहों की किसी भी तरीके से मदद करना या किसी तरह का षडयंत्र रचना अपराध है। इन अलावा चार समूह आईएस-सोमालिया, जुंद अल-खलीफा-ट्यूनिशिया, आई-मिस्र और मॉते समूह है। इसके साथ ही जिन दो लोगों को वैश्विक आतंकवादी सूची में डाला गया है, वे महदा मोआलिम और अबू मुसाब अल-बरनावी है।
गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा विद्रोहियों से शांति वार्ता से इनकार किए जाने के बाद तालिबान ने अधिक हिंसा और रक्तपात की अमेरिका को धमकी दी थी। ख़बरों के मुताबिक, तालिबान आतंकवादियों ने एक बयान में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी ‘युद्ध का समर्थन कर रहे हैं, शांति का नहीं।’ तालिबान अब तक लगातार अफगान सरकार के वार्ता के आह्वान को खारिज करता रहा है। बयान में कहा गया है, ‘ट्रंप और उनके युद्ध समर्थक सहयोगियों को समझना चाहिए कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। यदि आप युद्ध पर जोर दे रहे हैं तो हम मुजाहिद राष्ट्र आपका फूलों से स्वागत नहीं कर सकते।’
तालिबान प्रमुख मुल्लाह हैबतुल्ला ने कहा, ‘हमारे शत्रु सिर्फ युद्ध पर जोर देते हैं, लेकिन हम मानते हैं कि हमारे राष्ट्र को हराया नहीं जा सकता है और हममें अंतहीन धैर्य है, जिस सच्चाई को आक्रमणकारियों को स्वीकारना होगा और बातचीत के मेज पर आना होगा।’ बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान का अभिमानी आक्रमकारियों को हराने का लंबा इतिहास रहा है, जिसकी वजह से ट्रंप के वार्ता से इनकार करने से सिर्फ अमेरिकी सेना को सामग्री व जन हानि का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ दोपहर के भोज के दौरान कहा था, ‘तालिबान निर्दोष लोगों को मार रहा है। बच्चों पर बमबारी की जा रही है, परिवारों पर बमबारी की जा रही है, पूरे अफगानिस्तान में बमबारी की जा रही है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए तालिबान से कोई बातचीत नहीं होगी। हम तालिबान से बात नहीं करना चाहते। जो काम हमें करना है, हम उसे पूरा करने जा रहे हैं। जिस काम को कोई नहीं पूरा कर पाया, हम उसे पूरा करने जा रहे हैं।’