ताशकंद डेस्क/ मध्य और दक्षिण एशिया संपर्क सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से महज़ कुछ फ़ीट की दूरी पर ही बैठे हुए थे। शुक्रवार को हुए इसी सम्मेलन में पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान ने चरमपंथी समूहों से अपने संबंध नहीं तोड़े हैं।
मध्य और दक्षिण एशिया संपर्क सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी शामिल हुए थे। अपने संबोधन में उन्होंने भी पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए व्यापार की समस्याओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास और समृद्धि, शांति और सुरक्षा के साथ ही संभव है।
खुफ़िया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने अपने संबोधन में कठोर शब्दों में कहा कि पिछले महीने 10,000 से अधिक ‘जिहादी’ लड़ाके अफ़ग़ानिस्तान आए हैं जबकि पाकिस्तान सरकार तालिबान को शांति वार्ता में “गंभीरता से” भाग लेने के लिए मनाने में असफल रही है।
इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में क्षेत्रीय संपर्क के लिए चुनौतियों और ख़तरों पर बोलते हुए अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनके जनरलों ने बार-बार आश्वासन दिया कि वे नहीं समझते हैं की अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का अधिग्रहण पाकिस्तान के हित में है।
उन्होंने बार-बार कहा कि वे तालिबान को गंभीरता से बातचीत करने के लिए मनाने के लिए अपनी ताक़त और प्रभाव का इस्तेमाल करेंगे लेकिन तालिबान का समर्थन करने वाले नेटवर्क और संगठन खुलेआम अफ़ग़ान लोगों और राज्य की संपत्ति और क्षमताओं के विनाश का जश्न मना रहे हैं।
अशरफ़ ग़नी के इस बयान के कुछ मिनट बाद अपने ऊपर लगे इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान ने कहा कि इन आरोपों से वह “निराश” हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह सुनकर निराशा हुई कि संघर्ष में पाकिस्तान की “नकारात्मक भूमिका” थी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए कहा, “राष्ट्रपति ग़नी, अफ़ग़ानिस्तान में मची उथल-पुथल से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाला देश पाकिस्तान ही है। पिछले 15 सालों में पाकिस्तान में 70 हज़ार लोगों की जान गई है. अगर कोई अंतिम चीज़ है तो वो है कि पाकिस्तान अब और संघर्ष नहीं चाहता है। “