लखनऊ डेस्क/ अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद केस में सोमवार को लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को स्पेशल कोर्ट को मामले की सुनवाई रोज करके दो साल में फैसला सुनाने के आदेश दिया था। इस बीच बाबरी ढांचा गिराए जाने के मामले में 20 मई को रामविलास वेदांती, चंपत राय, बीएल शर्मा, महंत नृत्य गोपाल दास और धर्म दास लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे। गवाही के बाद पांचों आरोपियों को 20-20 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई।
राम विलास वेदांती ने कहा था, मैं स्वीकार करता हूं कि मैंने ही ढांचे को तुड़वाया था, क्योंकि उस समय लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती आधा ढांचा गिर जाने के बाद आए थे। मैंने श्रीराम को अपना ईष्टदेव मानकर, श्रीकृष्ण के कहे हुए शब्दों पर अपना मन लगाया और बाबरी ढांचे को गिराने का संकल्प लिया। बाबरी ढांचे को गिराने के एक दिन पहले रात में तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव का फोन आया था। उन्होंने मुझसे पूछा कि कल क्या होगा। इस पर मैंने कहा कि बाबरी ढांचे का विध्वंस होगा और राम मंदिर बनेगा। लेकिन आपके विशेष सहयोग की जरूरत होगी, क्योंकि अगर आपकी तरफ से सेना भेजी गई तो ये काम संभव नहीं हो पाएगा।
19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी समेत बीजेपी के 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा। कोर्ट ने सीबीआई की पिटीशन पर ये फैसला सुनाया था। कोर्ट ने ये भी कहा था, इस मामले में चल रहे दो अलग-अलग मामलों को एक कर दिया जाए और रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई भी लखनऊ में की जाए। सुनवाई दो साल में खत्म हो, ये भी सुनिश्चित किया जाए। सामान्य हालात में केस की सुनवाई टाली न जाए। जब तक सुनवाई पूरी न हो तब तक जज का ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। केस जिस जगह पर थे, उसी जगह से शुरू होंगे। बेंच ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि गवाह गवाही के लिए हर तारीख में हाजिर हों। इनके अलावा ट्रायल कोर्ट को आज की तारीख से चार हफ्तों के अंदर सुनवाई शुरू करनी चाहिए।