लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश में अनिवार्य विवाह पंजीकरण में आधार की जरूरत होने के बावजूद मुसलमान अपने सभी निकाह रजिस्टर करा सकेंगे। महिला कल्याण विभाग की ओर से तैयार सॉफ्टवेयर में सभी धर्मों में शादियों की संख्या के आधार पर फीडिंग की छूट दी गई है। गुरुवार को इस सॉफ्टवेयर का ट्रायल रन कराया गया। महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार ने कहा कि विवाह को पंजीकृत करने में धार्मिक रीति-रिवाजों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। वेबसाइट में मुस्लिमों के लिए चार विवाह के पंजीकरण की व्यवस्था होगी।
विवाह पंजीकरण कराने वाले मुस्लिमों के लिए आधार पिछले विवाह के मैच होने के बावजूद अगले विवाह के लिए खुला रहेगा। इस तरह की सुविधाओं वाली वेबसाइट का गुरुवार को ट्रायल रन करके भी देखा गया, जिसमें यह दिक्कत नहीं आ रही है। रेणुका कुमार ने कहा, ‘गुरुवार को नोटिफिकेशन के लिए नियमावली भेज दी गई है। उम्मीद है कि 15 दिनों के भीतर इसे लागू कर दिया जाएगा। ऑनलाइन पंजीकृत विवाहों के सर्टीफिकेट ई-मेल पर प्राप्त किए जा सकेंगे। इसके अलावा अगर पंजीकरण संख्या याद है तो उसे कभी भी वेबसाइट से डाउनलोड करने की भी सुविधा होगी।
गुरुवार को यूपी के मंत्री मोहसिन रजा अपनी पत्नी फौजिया, सास, ससुर और मां के साथ जिलाधिकारी कार्यालय में शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने पहुंचे। फॉर्म जमा करने के बाद मोहसिन ने मैरेज रजिस्ट्रेशन को योगी सरकार का मुस्लिम महिलाओं के लिए सबसे बड़ा तोहफा बताया। उन्होंने तीन तलाक का नाम न लेते हुए कहा, ‘अब वॉट्सऐप और एसएमएस तलाक नहीं चलेगा। महिलाओं के अधिकार सुरक्षित होंगे और उनका सशक्तिकरण होगा। यह किसी धर्म के खिलाफ फैसला नहीं है।’
मोहसिन रजा ने कहा, ‘निकाहनामा तो मेरा भी हुआ था लेकिन यह कोई वैलिड डॉक्युमेंट नहीं था। इसके खो जाने पर शादी साबित करने में भी बड़ी दिक्कतें होती थीं। यहां तक की कोर्ट में शादी को साबित करने के लिए महिलाओं को केस तक लड़ने पड़ते थे, लेकिन मैरेज रजिस्ट्रेशन से वह चिंता भी दूर हो गई है।’ दूसरी तरफ मौलवियों ने राज्य सरकार के सभी शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य करने के फैसले को अनुचित करार दिया। दारुल उलूम देवबंद इस्लामिक स्कूल के मौलवियों ने इस कदम का सख्त विरोध किया और कहा कि यह पूरी तरह से ‘नाजायज और गैरजरूरी’ है।