यूपी डेस्क/ यूपी में अलग-अलग संचालित सुन्नी व शिया वक्फ बोर्ड अब एक होंगे। प्रदेश की भाजपा सरकार ने दोनों वक्फ बोर्ड के विलय की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश सरकार में वक्फ राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि काफी समय से शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड के विलय के संबंध में लोगों के सुझाव आ रहे थे। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की मंजूरी मिलने के बाद विलय की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस संबंध में शासन से प्रस्ताव मांगा गया है। विधि विभाग के परीक्षण के बाद उत्तर प्रदेश मुस्लिम वक्फ बोर्ड का गठन कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड जल्द ही भंग किए जाएंगे। संयुक्त बोर्ड बनने की स्थिति में उसमें वक्फ संपत्तियों के प्रतिशत के हिसाब से शिया और सुन्नी सदस्य नामित किए जाएंगे। उन्हीं में से किसी को अध्यक्ष बनाया जाएगा।
मोहसिन रजा का कहना है कि केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में ही शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड अलग-अलग संचालित हो रहे हैं। अन्य सभी राज्यों में एक ही वक्फ बोर्ड है। वक्फ एक्ट 1995 के मुताबिक शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड गठित करने के लिए कुल वक्फ संपत्तियों में किसी एक तबके की कम से कम 15 फीसद हिस्सेदारी जरूरी है। यानी कुल 100 वक्फ संपत्तियां होने पर शिया वक्फ की कम से कम 15 संपत्तियां होनी चाहिए।
वक्फ राज्य मंत्री ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड एक्ट के मानकों को पूरा नहीं कर रहा। वर्तमान में सुन्नी वक्फ बोर्ड में करीब एक लाख 24 हजार वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास पांच से सात हजार वक्फ संपत्तियां ही दर्ज हैं जो महज चार फीसद ही है। केंद्रीय वक्फ परिषद के मुताबिक यूपी के शिया वक्फ बोर्ड के पास मात्र तीन हजार ही वक्फ संपत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि दोनों वक्फ बोर्ड में अलग-अलग अध्यक्ष, मुख्य अधिशासी अधिकारी और अन्य स्टाफ रखने से फिजूलखर्ची होती है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।