इलाहाबाद डेस्क/ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुजुर्गों और असहाय लोगों को पनाह देने के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि हर जिले में ओल्ड एज होम खोलना सुनिश्चित किया जाये। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि बुजुर्गों की सुरक्षा और उनकी जानमाल की हिफाजत पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है। हाईकोर्ट ने ओल्ड एज होम्स में संचालकों की नियुक्ति करने का भी आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने बुजुर्ग और बेसहारा लोगों की देखभाल के लिए वर्ष 2007 में बने कानून और वर्ष 2014 में बने रुल्स का कड़ाई से पालन करने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे बुजुर्ग और बेसहारा जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उनकी देखभाल ओल्ड ऐज होम में सुनिश्चित की जाये। कोर्ट ने पुलिस को ऐसे बेसहारा बुजुर्गों की सम्पत्ति और जानमाल की सुरक्षा का इंतजाम करने का भी आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता रिटायर्ड बीएसए जानकी देवी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है। 75 वर्षीय जानकी देवी बोलने-लिखने में अक्षम हैं और कोमा की स्थिति में हैं। उनकी मासिक पेंशन उनके खाते में आ रही थी लेकिन उनका भरण-पोषण नहीं हो पा रहा था। जिसके चलते उनके परिचित ने उनके साथ पंजाब नेशनल बैंक में ज्वाइंट अकाउन्ट खोला और धीरे-धीरे कर 22 लाख से ज्यादा की रकम खाते से निकाल ली।
कोर्ट ने कहा है कि डीएम की ये जिम्मेदारी है कि समाज कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन करे, जो यह देखे कि याचिकाकर्ता की सुरक्षा हो रही है कि नहीं। कोर्ट ने चीफ ट्रेजरी अफसर को भी निर्देश दिया कि पेंशन की भी जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि पेंशन की धनराशि से इलाज का खर्च हो रहा है कि नहीं। कोर्ट ने सीएमओ को निर्देश दिया है कि यदि जानकी देवी की घर में सुरक्षा नहीं हो पा रही है तो किसी प्राइवेट ओल्ड एज होम में भर्ती कर समुचित देखभाल की व्यवस्था करें। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण टण्डन और जस्टिस अशोक कुमार की खण्डपीठ ने यह आदेश दिया है।