पटना डेस्क/ बिहार के मुख्यमंत्री पद की आठवीं बार शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि वे विपक्ष को मजबूत करने में जुटेंगें। उन्होंने हालांकि प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को नकारते हुए कहा कि उनकी किसी भी पद के लिए दावेदारी नहीं है।
महागठबंधन की सरकार में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जहां जदयू ने पूरी मदद की वहीं भाजपा के लोग जदयू उम्मीदवारों को हराने की कोशिश करते रहे।
उन्होंने साफ लहजे में कहा कि हम तो उस चुनाव के बाद सीएम भी नहीं बनना चाहते थे, तब दबाव बनाकर कहा गया गया कि आप सम्भालिए। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि बाद के दिनों में क्या-क्या हुआ, सभी लोग जानते हैं। इसके बाद सभी लोगों की इच्छा थी कि गठबंधन से अलग हो जाया जाए और मंगलवार को फैसला ले लिया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा और वर्तमान भाजपा में अंतर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी के पास उस समय हम सब लोग जब गए थे। वे कितना प्रेम करते थे। वह हम कभी नहीं भूल सकते हैं। उस समय की बात ही दूसरी थी। उन्होंने आगे कहा कि उसके बाद जब हम दोबारा एनडीए में गए तो क्या-क्या हुआ, यह पार्टी के लोगों से पूछ लीजिए।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में बिना किसी के नाम लिए कहा कि कहा कि 2014 में जो आए 2024 के आगे रह पाएंगे कि नहीं ये तो वक्त बताएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि विपक्ष समाप्त हो जाएगा, लेकिन अब हम लोग भी आ गए है, कोशिश होगी पूरा विपक्ष एकसाथ आकर मजबूत हो।