मुंबई,
दक्षिण भारतीय फिल्मों के अभिनेता नागार्जुन का मानना है कि ‘पुष्पा’ और ‘केजीएफ’ जैसी फिल्मों ने देश के उत्तरी क्षेत्र में इसलिए बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि वहां के लोग ऐसी फिल्मों के प्रमुख किरदारों और नायकों को देखना चाहते हैं।
नागार्जुन ने कहा कि फिल्म ‘पुष्पा’ में अल्लू अर्जुन द्वारा निभाया गया मजदूर से तस्कर बने पुष्पराज जैसा किरदार बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश के दर्शकों के लिए एक नयापन लेकर आया और यही कारण है कि फिल्म ने हिंदी भाषा में मूल संस्करण की तुलना में अधिक कमाई की।
उन्होंने कहा, ‘‘पुष्पा’ सीरीज की दोनों फिल्मों ने तेलुगु की तुलना में उत्तर भारत में अधिक कमाई की। ‘पुष्पा’ से पहले भी हमने तेलुगु में इसी तरह की कहानियां देखी हैं और यह हमारे लिए कोई नयी बात नहीं थी, जबकि देश के उत्तरी क्षेत्र बिहार, पंजाब और उत्तर प्रदेश में दर्शक पुष्पा या ‘केजीएफ’ या ‘बाहुबली’ जैसी फिल्मों के हीरो को देखना चाहते थे।’’
नागार्जुन ने ‘विश्व दृश्य श्रव्य और मनोरंजन सम्मेलन’ (वेव्स) के दूसरे दिन शुक्रवार को कहा, ‘‘वे ऐसे ही हीरो देखना चाहते थे। वे बड़े-से-बड़े हीरो देखना चाहते थे। भारतीय लोगों के लिए, केवल रोजमर्रा की जिंदगी जीना ही बहुत मुश्किल है। और जब वे फिल्में देखकर तनाव दूर करना चाहते हैं, तो वे पर्दे पर जादू देखना चाहते हैं।’’
‘शिवा’, ‘मास’, ‘किलर’, ‘किंग’ और ‘डॉन’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लिए मशहूर अभिनेता ने कहा कि ऐसी फिल्में तब तक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकतीं, जब तक कि वे उस संस्कृति और भाषा से जुड़ी न हों, जिन पर वह आधारित होती हैं।
अभिनेता ने कहा, ‘‘राजामौली ने बाहुबली को एक फ्रेम से दूसरे फ्रेम में शूट किया, यह सोचकर कि यह एक तेलुगु फिल्म है। उन्हें अपनी जड़ों और भाषा पर बहुत गर्व था, और उन्होंने इसे एक तेलुगु फिल्म की तरह शूट किया, और दुनिया भर में लोगों ने इसे पसंद किया। अगर आप कहानी को पर्दे पर व्यक्त करने में अपनी जड़ों से जुड़े हैं, तो दर्शक इसे पसंद करेंगे। ’’