नई दिल्ली डेस्क/ सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी को हमेशा के लिए हिरासत में नहीं रखा जा सकता है और केंद्र से पूछा है कि क्या जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के हिरासत को एक साल से आगे बढ़ाया जा सकता है?
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने इल्तिजा मुफ्ती की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जो अपनी मां और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता के सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) और उसके बाद के विस्तार के तहत हिरासत के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति कौल ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, मुफ्ती कितने समय से हिरासत में हैं और किस आधार पर हैं? पीठ ने विशेष रूप से जानना चाहा कि क्या हिरासत को एक साल से आगे बढ़ाया जा सकता है। मेहता ने हिरासत को सही ठहराते हुए कहा कि यह पबिल्क ऑर्डर के आधार पर किया गया है।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि अदालत यह जानना चाहती है कि इस तरह के हिरासत को कब तक बढ़ाया जा सकता है। क्या यह बहुत लंबे समय तक के लिए हो सकता है? मेहता ने अदालत से किसी भी ऑब्जर्वेशन को रिकॉर्ड नहीं करने का आग्रह किया, इस पर न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि ये ऑब्जर्वेशन न्यायालय के सवाल हैं।
मेहता ने कहा कि मैं तथ्यों और कानून के आधार पर सवालों के जवाब दूंगा। सॉलिसिटर जनरल ने पब्लिक ऑर्डर पर प्रभाव होने के रूप में मुफ्ती द्वारा दिए गए बयानों का हवाला दिया। न्यायमूर्ति कौल ने जवाब दिया कि कभी-कभी कोई बहुत सारी बातें कह सकता है, जिसे कहा नहीं जाना चाहिए।
मेहता ने कहा कि ऐसी चीजों को एक ऐसे राज्य में नहीं कहा जाना चाहिए, जिसका आतंकवाद का इतिहास है। शीर्ष अदालत ने केंद्र को हिरासत की अधिकतम अवधि के संबंध में मामले में जवाब दाखिल करने की अनुमति दी कि क्या हिरासत जारी रखने का प्रस्ताव है या नहीं।
पीठ ने कहा कि इल्तिजा की याचिका में से एक में परिवार को उससे मिलने की अनुमति देना था। इल्तिजा के वकील ने तर्क दिया कि जेलों में भी लोगों को परिजनों से मिलने की अनुमति है। शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए निर्धारित की है।