प्रयागराज डेस्क/ मकर संक्रांति पर अखाड़ों के नागा साधुओं के शाही स्नान के साथ ही कुम्भ मेला मंगलवार से प्रारंभ हो गया। कड़कड़ाती ठंड में सुबह पांच बज कर करीब 45 मिनट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और पंचायती अटल अखाड़ा के नागा साधु-सन्यासी अपने लाव-लश्कर के साथ संगम पहुंचे और संगम में डुबकी लगाई।
अटल अखाड़ा के बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के नागा साधु संतों से शाही स्नान किया। निरंजनी अखाड़ा में सोमवार को महामंडलेश्वर बनीं केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री निरंजन ज्योति ने भी शाही स्नान किया।
नागा सन्यासियों का शाही स्नान देखने भारी तादाद में लोग संगम क्षेत्र में मौजूद थे। साधु-संतों की टोली के आगे घोड़े पर सवार पुलिसकर्मी थे और मार्ग के दोनों तरफ पुलिस लोगों की भीड़ को नियंत्रित कर रही थी।
आनंद अखाड़ा के शाही स्नान के बाद नागा साधुओं के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के साधु सन्यासियों ने शाही स्नान किया। जूना अखाड़ा में सैकड़ों की संख्या में नागा साधु सन्यासी शामिल थे और इस अखाड़े का लश्कर सबसे बड़ा था।
जूना अखाड़े के लश्कर में नागा साधुओं के पीछे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज का रथ था और इनके पीछे जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विश्वंभर भारती जी महाराज का रथ था।
सभी अखाड़ों को बारी-बारी से स्नान के लिए आधे से पौन घंटे का समय दिया गया था। सुबह का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम होने के बावजूद बड़ी तादाद में लोग गंगा और संगम में डुबकी लगा रहे थे जिसमें बुजुर्ग भी शामिल थे।
मेला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह 7 बजे तक करीब 12 लोगों ने गंगा और संगम में स्नान किया। वहीं 11 बजे तक यह आंकड़ा 67 लाख पहुंच गया। दिन में धूप खिलने से पवित्र संगम में स्नान करने वालों की संख्या शाम तक एक करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान है।
मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि अखाड़ों के सानिंध्य में आज शाही स्नान की परंपरा संपन्न हो रही है। यहां सुरक्षा और साफ-सफाई की व्यवस्था दुरुस्त की गई है। सभी श्रद्धालुओं को साधु संतों के अच्छे से दर्शन हों, हमने यह प्रयास किया है।