लखनऊ डेस्क/ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख और उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न की मूर्तियों के विषय में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर शनिवार को मायावती ने कहा कि मीडिया कृपा करके न्यायालय की टिप्पणी को तोड़मरोड़ कर पेश न करे और मीडिया और भाजपा के लोग कटी पतंग न बनें तो बेहतर है।
मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, ‘सदियों से तिरस्कृत दलित तथा पिछड़े वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं तथा महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल / स्मारक / पार्क आदि उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान तथा व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके कारण सरकार को नियमित आय भी होती है।’
उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, ‘‘ मीडिया कृपा करके माननीय उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश न करे। माननीय न्यायालय में अपना पक्ष ज़रूर पूरी मजबूती के साथ आगे भी रखा जायेगा। हमें पूरा भरोसा है कि इस मामले में भी न्यायालय से पूरा इंसाफ मिलेगा। मीडिया तथा भाजपा के लोग कटी पतंग न बनें तो बेहतर है।’
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा था कि उसे ऐसा लगता है कि बसपा प्रमुख मायावती को लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां बनवाने पर खर्च किया गया सारा सरकारी धन लौटाना होगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। अधिवक्ता रविकांत ने 2009 में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता।