वाशिंगटन डेस्क/ व्यापार मोर्चे पर अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों के बीच खींचतान जारी है। ट्ंरप प्रशासन ने आज कहा कि यूरोपीय संघ , चीन , भारत , तुर्की और अन्य देशों द्वारा अमेरिकी निर्यात पर जवाबी शुल्क अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत ” पूरी तरह से औचित्य के बिना अर्थात् बिना किसी वाजिब कारण के ” लगाया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस्पात पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगाने के बाद चीन (2 अप्रैल), मैक्सिको (पांच जून), तुर्की (21 जून) और यूरोपीय संघ (22 जून) ने भी जवाबी शुल्क लगाए हैं।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने कहा , ” राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए इस्पात और एल्युमीनियम के व्यापार पर कार्रवाई की। अमेरिकी कानूनों और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) दोनों के मामलों में कार्रवाई पूरी तरह से वैध और उचित है। “
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत यूरोपीय संघ ने अमेरिकी निर्यात पर तत्काल शुल्क को न्यायसंगत बनाने के लिए एक आधारहीन कानूनी सिद्धात तैयार किया है। चीन समेत डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों ने भी इसी तरह का रुख अपनाया।
लाइटहाइजर मे कहा कि ये जवाबी शुल्क पूरी तरह से पाखंड को रेखांकित करता है जो कि वैश्विक व्यापार प्रणाली को अधिक नियंत्रित करता है। कई महीने से यूरोपीय संघ , चीन और अन्य देश अमेरिका की व्यापार नीति की आलोचना कर रहे हैं और डब्ल्यूटीओ के नियमों का हवाला दे रहे हैं। लेकिन उनके द्वारा लगाए गए शुल्क प्रमाणित करते हैं कि वे डब्ल्यूटीओ के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
उन्होंने शुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया है , जो कि डब्ल्यूटीओ सदस्यों को आवश्यक सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का व्यापक अधिकार देता है।