मुंबई डेस्क/ रिजर्व बैंक ने कहा है कि व्यक्तिगत, आवास, वाहन और सूक्ष्म तथा लुघ उद्यम कर्ज पर ‘फ्लोटिंग’ (परिवर्तनीय) ब्याज दरें अगले साल एक अप्रैल से रेपो दर या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर प्रतिफल जैसे बाहरी मानकों से संबद्ध की जाएंगी। फिलहाल बैंक अपने कर्ज पर दरों को प्रधान उधारी दर (पीएलआर), मानक प्रधान उधारी दर (बीपीएलआर), आधार दर तथा अपने कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) जैसे आंतरिक मानकों के आधार पर तय करते हैं।
आरबीआई के ‘विकासात्मक और नियामकीय नीतियों पर बयान’ में कहा गया है कि बाहरी मानकों से ब्याज दर को जोड़े जाने को लेकर अंतिम दिशानिर्देश इस माह के अंत में जारी किया जाएगा। आरबीआई ने एमसीएलआर प्रणाली की समीक्षा के लिये एक आंतरिक अध्ययन समूह का गठन किया था। समूह ने फ्लोटिंग ब्याज दर को बाह्य मानकों से जोड़ने का सुझाव दिया है।
आरबीआई ने कहा, ‘‘…यह प्रस्ताव किया जाता है कि व्यक्ति या खुदरा कर्ज (मकान, वाहन आदि) तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिये सभी नई फ्लोटिंग ब्याज दरें एक अप्रैल से (रिजर्व बैंक द्वारा तय) रेपो दर या 91 / 182 (91 दिन/182 दिन) के ट्रेजरी बिल (सरकारी बांडों) पर यील्ड (निवेश-प्रतिफल) या फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लि. (एफबीआईएल) द्वारा तय की जाने वाली किसी अन्य मानक बाजार ब्याज दर से संबद्ध होंगी।’’
केंद्रीय बैंक के अनुसार, ‘‘ किसी कर्ज के लिए ब्याज दर निर्धारित मानक दर से कितनी ऊंची रखी जाए, यह निर्णय कर्ज देने वाले बैंक का होगा। मानक दर और कर्ज की दर के बीच का यह अंतर कर्ज की पूरी अवधि के लिए एक जैसा बना रहेगा बशर्ते उस कर्ज के आकलन में अचानक कोई बड़ा बदलाव न आ जाए या दोनों पक्षों की बीच अनुबंध में बदलाव की सहमति न हो जाए। ’’
इसमें कहा गया है कि बैंक अन्य कर्जदारों को भी बाह्य मानकों से जुड़े ब्याज पर कर्ज देने को आजाद है। आरबीआई ने यह भी कहा है, ‘‘पारदर्शिता, मानकीकरण और कर्जदारों के लिये कर्ज उत्पादों के बारे में आसान समझ सुनिश्चित करने के लिये बैंक किसी एक कर्ज श्रेणी में एक समान बाह्य माकक दर अपनाएंगे। अन्य शब्दों में एक ही बैंक द्वारा किसी एक कर्ज श्रेणी में कई मानकों को अपनाने की अनुमति नहीं होगी।’’