लखनऊ डेस्क/ कोरोना संकट ने राज्यों के रोजगार प्रबंधन, वित्तीय क्षमताओं को परखा है। लॉकडाउन होने पर लाखों मजूदरों को रोजगार देने में राज्यों ने अपने स्तर पर प्रयास किए हैं। उन प्रयासों के परिणाम के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक ने जो रैंक दी है उसके मुताबिक, यूपी ने 5 वें स्थान पर जगह बनाई है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के जरिए रोजगार देने में प्रदेश पांचवे स्थान पर रहा है। आरबीआई ने देश के सभी राज्यों का आकलन कर एमएसएमई सेक्टर में रोजगार की रिपोर्ट तैयार की है ।
एमएसएमई के जरिये रोजगार सृजन के मामले में राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य यूपी से पीछे हैं । आरबीआई ने कोरोना के संकट काल में योगी सरकार द्वारा रोजगार सृजन के आंकड़ों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। रिजर्व बैंक की रैंकिंग में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और मध्यप्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश है। कोरोना की विपरीत परिस्थितियों में दूसरे राज्यों में फंसे 40 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का बड़ा फैसला लेने के साथ ही योगी सरकार ने उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौती भी पूरी की।
योगी सरकार ने 20 लाख से ज्यादा मजदूरों की स्किल मैपिंग करा कर उन्हें सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के जरिये अलग अलग क्षेत्रों में रोजगार से जोड़ा। राज्य सरकार ने फिक्की और आइआईए के साथ 6 लाख मजदूरों को रोजगार से जोड़ने का एमओयू साइन किया तो नार्डको और लघु उद्योग भारती जैसे संस्थानों के साथ 5 लाख रोजगार सृजन का एमओयू कर कुल 11 लाख लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का कामकिया।
प्रदेश में एमएसएमई की 90 लाख इकाइयां संचालित हैं, जो कि देश में एक रिकार्ड है। कोरोना और लॉकडाउन के दौर में योगी सरकार की एक जनपद एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) रोजगार के मामले में गेम चेंजर साबित हुई। एमएसएमई के अंतर्गत शुरू की गई इस योजना के जरिये राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के साथ ही व्यापार से भी जोड़ा। ओडीओपी के तहत हर जिले के एक उत्पाद को ब्रांड बना कर राज्य सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की। अमेजॉन और फ्लिप्कार्ट जैसी कंपनियों के साथ सरकार के ऑनलाइन व्यापार के एमओयू ने योजना को गति दे दी। बड़े जिलों के साथ जौनपुर, एटा, पीलीभीत, मिजार्पुर और प्रतापगढ़ जैसे छोटे जिले भी ओडीओपी योजना के साथ रोजगार के केंद्र बन गए।