चंडीगढ़ डेस्क/ केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के जारी प्रदर्शन के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह आखिर इस मुद्दे पर क्यों अड़ी हुई है और किसानों की बात क्यों नहीं सुन रही है। मुख्यमंत्री ने अपने दौरे के दौरान अनौपचारिक रूप से मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, यह सरकार का काम है कि वह अपने लोगों की बात सुने। अगर किसान इतने सारे राज्यों से आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, तो वे वास्तव में परेशान होंगे। उन्होंने कथित काले कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के साथ मजबूती से खड़े रहने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
प्रधानमंत्री के इस रुख पर कि नए कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी शुरू से यही बात दोहराते आए हैं और यही वजह थी कि पंजाब अपने विधेयक लेकर आया। उन्होंने राष्ट्रपति के पास भेजने के बजाय उन विधेयकों पर खुद विचार करने के राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाया। सिंह ने कहा कि राज्यपाल ने पिछले साल भी मुख्यमंत्री के सलाहकारों से संबंधित विधेयक पर भी ऐसा ही रुख अपनाया था। सिंह ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और आढ़ती (कमीशन एजेंट) की प्रणाली को पंजाब के सफल कृषि मॉडल की रीढ़ बताया।
अमरिंदर सिंह ने सवाल पूछते हुए कहा, क्या संकट के समय में किसानों की मदद करने वाले आढ़तियों की जगह लेने वाले कॉर्पोरेट्स कभी उन पर ध्यान देंगे? अमरिंदर सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव ने छोटे किसानों को बहुत महत्व दिया था, जिनकी पंजाब के कृषक समुदाय में बड़ी संख्या है और इनमें से 75 फीसदी के पास पांच एकड़ से कम जमीन है। उन्होंने कहा, यही वो किसान हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए काले कृषि कानूनों से बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को अपनी हक की लड़ाई के लिए दिल्ली की सीमाओं पर विरोध करना पड़ा रहा है और वे कठोर सर्दी का सामना कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि इसके साथ ही वे कोविड-19 का खतरा और हरियाणा पुलिस की बर्बरता भी झेल रहे हैं।