नई दिल्ली डेस्क/ देश में 2022 तक इंटरनेट ऑफ थिंग्स के दो अरब कनेक्शन और इससे 11.1 अरब डॉलर के राजस्व का अनुमान है। एक हालिया रपट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
एसोचैम-ईवाई के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है, “भारत में 2022 तक प्रति सेकेंड पांच नये मोबाइल कनेक्शन के इंटरनेट से जुड़ने की संभावना है। उम्मीद है कि करीब 50 प्रतिशत घर फिक्स्ड ब्रॉडबैंड से जुड़ेंगे।
अध्ययन में कहा गया है कि 2022 तक भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स ना सिर्फ लोगों को जोड़ेगा बल्कि अरबों उपकरण, वाहन, घरेलू वस्तु और मशीन इससे जुड़ेंगी। उम्मीद है कि लक्षित वर्ष तक भारत में ऐसे कनेक्शनों की संख्या दो अरब के आंकड़े को पार कर जाएगी और इससे 11.1 अरब डॉलर की कमाई की संभावना है।
साझा रपट में रेखांकित किया गया है कि भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स बाजार के लिए असीम संभावनाएं हैं लेकिन ऑप्टिल फाइबर के जरिये कनेक्टिविटी के मामले में वह अमेरिका, चीन और दक्षिण कोरिया से बहुत पीछे है।
उसमें कहा गया है कि भारत में टावरों को फाइबर नेटवर्क से जोड़ना महत्वपूर्ण काम है। रपट के मुताबिक, भारत में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के महज 25 प्रतिशत टावर ऑप्टिकल फाइबर से युक्त हैं, जबकि अमेरिका, चीन और दक्षिण कोरिया में यह 65-80 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।
भारत को 1,000 अरब की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के संबंध में प्रकाशित ‘प्रोपेलिंग इंडिया टु ए ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकनॉमी’ शीर्षक रपट में राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी), 2018 के एक लक्ष्य का हवाला दिया गया है। लक्ष्य में कहा गया है कि 2022 तक 60 प्रतिशत टावरों को फाइबर नेटवर्क से जोड़े जाने की जरूरत होगी।