लखनऊ डेस्क/ देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) की घटनाओं को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश पुलिस भी अलर्ट हो गई है। सूबे के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस प्रभारियों को निर्देश जारी करते हुए ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने यह दिशा निर्देश जारी किया है।
डीजीपी ने जो आदेश जारी किया है, उसके अंतर्गत सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नोडल अफसर बनाए गए हैं। इनके सहयोग के लिए एक पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को भी लगाया गया है। एडवाइजारी के मुताबिक, सभी जिलों को यह निर्देश दिए गए हैं कि एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए, जो ऐसे मामलों की संपूर्ण जानकारी इकट्ठा कर उस पर विस्तृत कारवाई करा सके।
डीजीपी की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली भ्रामक जानकारियों की रज़कथाम के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए, पीड़ित समुदाय या वर्ग के विरुद्ध अमैत्रीपूर्ण व्यवहार की घटनाओं को भी रोका जाए। साथ ही ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मीडिया और रेडियो, दूरदर्शन आदि पर प्रचार-प्रसार कर जागरूकता फैलाई जाए। एडवाइजरी में कहा गया है कि भीड़ द्वारा हिंसा में पीड़ित परिवार को उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2014 के अंतर्गत आर्थिक मदद भी दिलाई जाए। इसके साथ ही न्यायालय में ऐसे प्रकरणों की संपूर्ण निगरानी रखी जाए, ताकि पीड़ित वर्ग को जल्द से जल्द न्याय मिले।
बता दें कि पिछले दिनों देश में बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए एक निश्चित व्यवस्था बनाने की बात भी कही थी। कोर्ट ने राज्य सरकारों को हर जिले में एसपी स्तर के अधिकारी को नोडल ऑफिसर नियुक्त करने के लिए कहा था। साथ ही घटनाओं से निपटने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाने के आदेश दिए थे। नोडल ऑफिसर को लोकल इंटेलिजेंस के साथ तालमेल बनाकर काम करना होगा। कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी और होम सेक्रेटरी नोडल ऑफिसर के साथ नियमित मीटिंग करें। ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत तुरंत केस दर्ज हो और फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलाकर छह महीने के अंदर दोषियों को अधिकतम सजा दी जाए।