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कुर्सी के लिए गठबंधन सुना था… पर व्यक्ति विशेष को हराने के लिए गठबंधन! आज देखा

आँखों देखा हाल :

टीआईएल डेस्क/ लखनऊ – राहुल गाँधी और अखिलेश यादव ने एक मंच से उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में साथ चलने का दम भरा | पर प्रेस वार्ता में दोनों ही सवालों के सटीक उत्तर देने से बचते नज़र आये | प्रेस वार्ता में अखिलेश की जगह राहुल ही ज़्यादा सवालों के उत्तर देते नज़र आये | राहुल ने अपनी और अखिलेश की पार्टी की तुलना गंगा और जमुना के संगम से की | साथ ही वो ये भी कह गए कि हमारा संगम गंगा और जमुना की तरह ऐसे हुआ के आप ये नहीं पहचान पायेंगे के समाजवादी कौन है और काँग्रेसी कौन है | ऐसा कहते वक़्त राहुल ये भूल गये के गंगा और जमुना का संगम होने के बावजूद गंगा जल का अस्तित्व जमुना में विलीन नहीं होता और न ही जमुना के जल का अस्तित्व गंगा में विलीन होता है | दोनों की धाराओं का अस्तित्व कोई भी साफ़-साफ़ देख सकता है और समझ सकता है |

इस चुनाव में राहुल और अखिलेश ने ये संगम व्यक्ति विशेष को हराने के लिए किया है ये बात अलग है कि अखिलेश अपने काम के नाम पर चुनाव जीतना चाहते है, लेकिन सच ये है कि दोनों ही मोदी को हराना चाहते है | वार्ता में मोदी को हराने की बेकरारी राहुल के चेहरे पर साफ़ दिख रही थी ऐसे में वो मायावती की भी तारीफ़ करना नहीं भूले और एक शीशा अखिलेश को भी दिखा दिया | राहुल ने अखिलेश को अपनी पार्टी से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री तो मान लिया पर अखिलेश ने राहुल को भावी प्रधानमंत्री मानने पर चुप्पी साध ली | दोनों ही युवा नेताओं ने उत्तर प्रदेश की जनता के सामने ऐसा कोई भी साझा एजेंडा सामने नहीं रखा जिससे ये कहा जा के उत्तर प्रदेश की जनता के जीवन में कोई बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है | पर चलते-चलते राहुल ने मोदी के खिलाफ भूकंप वाली ईस्टाइल में ये ज़रूर कह दिया के सारे पत्ते वो पब्लिकली नहीं खोलते |

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