इलाहाबाद डेस्क/ मुकदमों की संख्या के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े कोर्ट में शुमार इलाहाबाद हाईकोर्ट और उसकी लखनऊ खंडपीठ अगले आठ महीनों में अपने 1 करोड़ फैसलों को ऑनलाइन करेगा। ये निर्णय हाईकोर्ट की 1860 में स्थापना के बाद से अब तक के हैं। इन निर्णयों के करीब 50 करोड़ करोड़ पृष्ठों को स्कैन किया जा रहा है। वेरिफाई व फाइलों को डिजिटली साइन करके इन्हें हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसका फायदा वादकारियों और वकीलों से लेकर आम नागरिकों व अध्ययनकर्ताओं तक को मिलेगा।
हाईकोर्ट के जस्टिस दिलीप गुप्ता, जस्टिस विवेक चौधरी, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोरा और जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा ने गुरुवार को यहां न्यायिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (जेटीआरआई) में आयोजित प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी। वहीं न्यायपालिका की कंप्यूटर कमेटी की पहली नेशनल कॉन्फ्रेंस जेटीआरआई में शनिवार को शुरू होगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट और देश के 24 हाईकोर्ट की कंप्यूटर कमेटियों से जुड़े जज व न्यायिक अधिकारी शामिल होंगे।
जेटीआरआई के जज इंचार्ज जस्टिस दिलीप गुप्ता ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में सभी हाईकोर्ट के वे सदस्य शामिल होंगे जो संबंधित कोर्ट की कंप्यूटराइजेशन कमेटी से जुड़े हैं। 20 जनवरी को उद्घाटन समारोह में सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के चेयरमैन जस्टिस मदन बी लोकुर शामिल होंगे। वे देश के सभी न्यायालयों के डिजिटलाइजेशन की निगरानी समिति के प्रमुख हैं।
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन जस्टिस मदन बी लोकुर लखनऊ खंडपीठ में एक ई-कोर्ट (पेपरलेस कोर्ट) की डिवीजन बेंच का शुभारंभ करेंगे। 19 अगस्त 2017 को जस्टिस लोकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ में देश का पहला ई-कोर्ट शुरू किया था, इसकी एक-एक बेंच चल रही हैं। निकट भविष्य में सभी बेंच ई-कोर्ट होंगी। इससे मुकदमों के अलग से डिजिटलाइजेशन की जरूरत खत्म हो जाएगी।