अयोध्या डेस्क/ अयोध्या मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और इसे उसी पर छोड़ देना चाहिए। इस संवेदनशील मामले में भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को राजनीति नहीं करनी चाहिये। मायावती ने आरोप लगाया कि देश की जनता अब यह अच्छी तरह से समझ चुकी है कि जब चुनाव का समय होता है तब भाजपा वोट की ख़ातिर अयोध्या का मुद्दा उछालकर माहौल को गरमा देती है। साथ ही बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम पर उनके अनुयाइयों को प्रभावित करने के लिये अनेकों प्रकार की नाटकबाजी की जाती है। अब जनता इन सब फरेब से और ज्यादा धोखा खाने वाली नहीं हैं।
मायावती ने कहा, ‘‘अयोध्या मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और इसे न्यायालय पर ही छोड़ देना बेहतर है कि वह कब और कैसे इस मामले की सुनवाई करता है और कब व क्या फैसला करता है। इस संवेदनशील मामले में भाजपा और कांग्रेस को राजनीति नहीं करनी चाहिये।’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह भी जानकर बड़ा दुःख हुआ है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर इनके आदर-सम्मान में पूर्व से चली आ रही छुट्टी को उत्तर प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार ने उसे रद्द कर दिया है। इसकी हमारी पार्टी कड़े शब्दों में निन्दा करती है, लेकिन इससे इनकी ख़ासकर दलित व डा. भीमराव अम्बेडकर विरोधी मानसिकता अभी भी साफतौर से स्पष्ट नज़र आती है।’’ बसपा प्रमुख ने कहा कि डा. भीमराव अम्बेडकर के प्रति भारतीय जनता पार्टी का नया उभरा प्रेम ना केवल दिखावटी व बनावटी है, बल्कि पूरी तरह से छलावा भी है। अगर ऐसा नहीं है तो भाजपा की जहाँ-जहाँ भी सरकारें हैं, वहाँ डा. अम्बेडकर की घोर उपेक्षा एवं उनके अनुयाइयों पर हर प्रकार की ज्यादती पहले की ही तरह क्यों जारी है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में डा. अम्बेडकर के आदर-सम्मान में जो भव्य व ऐतिहासिक महत्व के स्थल, स्मारक, पार्क आदि बसपा सरकार द्वारा बनाये गये हैं।उनकी उपेक्षा व रख-रखाव में घोर उदासीनता प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा क्यों की जा रही है। इस प्रकार भाजपा व खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीयत पर कौन भरोसा कर सकता है। बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘मैंने पार्टी के राज्यसभा सांसद मुनकाद अली के बेटे को मेरठ में कानून अपने हाथों में लेने की वजह से बसपा से निकाल दिया है।’’