गोरखपुर डेस्क/ गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज में बच्चों की मौत पर DGME की रिपोर्ट और 12 पन्नों की एफआईआर में कहा गया है कि ऑक्सीजन की सप्लाई तो रुकी थी| हालांकि साथ ही ये भी दावा किया गया है कि स्टोर में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं थी| रिपोर्ट में इस स्वीकारोक्ति से कई सवाल खड़े हो रहे हैं| इनमें बच्चों की मौत आॅक्सीजन की कमी से नहीं होने के सरकार के दावे भी कटघरे में खड़े हो रहे हैं|
अगर बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई तो ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई है? अगर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं थी तो ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी क्यों? जांच रिपोर्ट और एफआईआर में अगर ऑक्सीजन सप्लाई रुकने की बात मानी गई है, तो फिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई?
यूपी के डीजीएमई केके गुप्ता की तहरीर पर रविवार को लखनऊ के हजरतगंज थाने में 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें पहली एफआईआर भ्रष्टाचार, दूसरी लापरवाही बरतने और तीसरी एफआईआर प्राइवेट प्रैक्टिस के खिलाफ दर्ज की गई है । इस एफआईआर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, डॉक्टर कफील खान, डॉ. सतीश, डॉ. पूर्णिमा शुक्ला, चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल, लेखाकार सुधीर पाण्डेय, सहायक लिपिक, पुष्पा सेल्स के उदय प्रताप शर्मा और मनीष भंडारी पर कुल 7 धाराओं में तहत मुकदमा दर्ज किया गया है|
पुलिस ने इस सभी लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 308, 120B, 420 भष्टाचार निवारण अधिनियम 8 की धारा 66 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, वहीं इस एफआईआर में ऑक्सीजन सप्लाई प्रभावित होने का भी जिक्र है । बता दें कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट और एफआईआर में इस बात का कोई जिक्र तक नहीं कि बच्चों की मौत कैसे हुई। क्योंकि बच्चों की मौत के बाद किसी का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। वहीं बच्चों के डेथ सर्टिफिकेट पर डॉक्टरों ने जो वजह लिखी हो, उसी रिपोर्ट को सच मान रही है। गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल कालेज में पिछले दिनों इंसेफ्लाइटिस व एनआईसीयू वॉर्ड में कई बच्चों की मौत हो गई थी | मामले में आॅक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के आरोप लगे थे, जिससे यूपी सरकार ने साफ इंकार किया था|