इलाहाबाद डेस्क/ योगी राज में यूपी में अवैध बूचड़खानों पर लगी रोक के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार मांस खाने वालों लोगों को उनकी पसंद का भोजन करने के अधिकार को बिना किसी ठोस वजह के न तो खत्म कर सकती है और न ही उसमे रुकावट पैदा कर सकती है| किसी को भी अपनी पसंद का भोजन करने का अधिकार है और सरकार इसमें दखलअंदाजी नहीं कर सकती है | हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया और उससे एक महीने में जवाब देने को कहा है |
अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि स्लाटर हाउस शुरू करने और पहले से चल रहे बूचड़खानों को चलते रहने देने के मामले में उसकी क्या नीति है. अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि स्लाटर हाउस चलाने का अधिकार राज्य सरकार, नगर निगम या प्राइवेट लोगों में से किसे है| चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार से यह भी बताने को कहा है कि किसी शहर में बूचड़खाना न होने या बंद होने पर बकरे और मुर्गे के मीट की दुकान का लाइसेंस कैसे दिया जा सकता है और सूबे में तमाम बूचड़खाने बंद होने पर सरकार ने अब क्या नियम बनाए हैं |
हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को यह नोटिस झांसी के मीट कारोबारी यूनिस खान की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है| यूनिस खान की तरफ से अदालत में कहा गया कि वह शहर में बकरे और मुर्गे का मीट बेचने की दूकान लीगल तौर पर चलाना चाहता है और इसलिए उसने लाइसेंस के लिए नगर निगम में आवेदन किया था, लेकिन नगर निगम ने बूचड़खाना बंद होने का हवाला देकर फिलहाल लाइसेंस देने से मना कर दिया है|
अर्जी में यह भी कहा गया कि लाइसेंस न होने की वजह से झांसी के लोग अपनी पसंद का भोजन नहीं कर पा रहे हैं| अदालत ने इस मामले में तल्ख़ टिप्पणी की और कहा कि किसी को भी उसकी पसंद का खाना खाने से नहीं रोका जा सकता| अदालत ने झांसी नगर निगम को भी नोटिस जारी कर उससे भी जवाब तलब किया है| अदालत इस मामले में अब पांच जुलाई को फिर से सुनवाई करेगी|