क्रांति मिश्रा की पुस्तक ‘ चीख ‘ का विमोचन |
TIL Desk Lucknow/ लखनऊ पुस्तक मेले के आज अंतिम दिन रवींद्रालय के सांस्कृतिक पंडाल में लेखक क्रान्ति मिश्रा के समदर्शी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मर्डर मिस्ट्री पर आधारित उपन्यास ‘ चीख ‘ के विमोचन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में उपन्यास ‘ चीख ‘ का विमोचन मुख्य अतिथि पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृजलाल, विशिष्ट अतिथि मनोज चंदेल, डॉ अमिता दुबे, साहित्यकार राजकुमार सिंह और विधि विशेषज्ञ प्रो. डी.एन.एन.एन. एस. यादव ने किया।
विमोचन अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि पुस्तक लिखने में प्रवाह होना चाहिए। पुस्तक बोझिल नहीं होनी चाहिए। पुस्तक लिखना आम बात नहीं होती है। तमाम अनुभव होते हैं, उन अनुभवों को शब्दों में ढालना यह बड़ी बात होती है। जब पुस्तक पढ़नी व्यक्ति शुरू करे तो पलटता जाए ऐसा लेखन करना एक लेखक की खूबी होती है। यह खूबी मुझे क्रांति जी में देखने को मिली। जब आप चीख पढ़ना शुरू करोगे तो पढ़ते चले जाओगे रुकोगे नहीं।
इस अवसर पर लेखक और पुस्तक के विषय में विधि विशेषज्ञ प्रो. डी.एन. एन. एन. एस. यादव ने कहा कि क्रांति कॉलेज के जमाने से ही काफी सनसनीखेज रहा। जब लॉ पढता था तब भी इसके सवाल काफी सनसनीखेज रहते थे। मुझे लगता था कि यह एक सनसनीखेज वकील बनेगा, लेकिन यह एक पत्रकार बना। इसकी पत्रकारिता में मुझे वही सनसनी नज़र आयी जो इसके सवालों में थी। उसकी पुस्तक में आप उसके जज़्बे को देख पाएंगे। लेखक राजकुमार सिंह ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़े।
अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में डॉ अमिता दुबे ने कहा कि यह पुस्तक चीख से शुरू होती है, यह सिर्फ एक साधारण चीख नहीं है, बल्कि समाज के उस पक्ष की चीख हैं जिसमे कोई निज स्वार्थ के लिए किसी की हत्या करने से भी नहीं हिचकता।
लेखक क्रांति मिश्रा ने कहा कि मेरे पिता श्री मिथला शरण मिश्रा को जासूसी उपन्यास बहुत पसंद थे। उन्हें वो पढ़ते देख निश्चय कर लिया था कि एक दिन मैं भी उनके लिए कुछ लिखूंगा। यह पुस्तक मैं अपने पिताजी को समर्पित करता हूं। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि और साहित्यकार राजकुमार सिंह, सूर्य प्रकाश शुक्ला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन अमित जायसवाल ने दिया।