यूपी डेस्क/ राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आसीन होने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में पार्टी को फिर से खड़ा करने की होगी। उत्तर प्रदेश में नेहरू-गांधी परिवार की सामाजिक और राजनीतिक धरोहर है, जो पांच पीढ़ियों तक फैली और गहरी है। उनकी भी सियासी जमीन यहीं पर हैं और भविष्य के सवाल भी यहीं से वाबस्ता हैं, लिहाजा मिशन उत्तर प्रदेश की उनके लिये बड़ी अहमियत होगी। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में राहुल के लिये चुनौती कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की होगी। इसके साथ ही उन राज्यों में भी पार्टी को मजबूत करना होगा, जहां इस वक्त वह हाशिये पर है।
राजनीतिक जानकार सुभाष गताडे का भी मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल के सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन को मजबूत करने और पार्टी के लिए जनता के दिल में जगह बनाने की होगी। उन्होंने कहा कि राहुल ने गुजरात में जिस तरह बीजेपी के चुनाव अभियान का नई रणनीति के साथ जवाब दिया कुछ ऐसा ही कांग्रेस में भी करना होगा। अगले लोकसभा चुनाव में यह भी मुख्य मुद्दा होगा कि मोदी को कौन सा राजनेता चुनौती दे रहा है और जमीनी स्तर पर उसकी हैसियत क्या है, इस लिहाज से राहुल को मोदी के मुकाबले के लिए खुद को तैयार करना होगा।
गुजरात चुनाव में राहुल के बदले हुए रुप के बारे में किदवई का मानना है कि वह अभी तक सोनिया गांधी की छाया में थे। जिम्मेदारी मिलने पर नेता की असली विशेषताएं पता चलती हैं। जब तक नेहरू आगे रहे, तब तक इंदिरा उनकी छाया में रहीं, लेकिन जिम्मेदारी मिलने पर नेहरू से अलग उनकी विशेषताएं जाहिर हो सकीं। उसी तरह राजीव गांधी और इंदिरा में फर्क था। ऐसे ही सोनिया गांधी राजीव से अलग हैं। जब किसी को इक्तेदार मिलता है, तब उसके कामकाज का तरीका पता चलता है।