लखनऊ डेस्क/ यूपी के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के लिए डेढ़ दशक लंबी लड़ाई में सर्वोच्च न्यायालय में मिली हार के बाद बुधवार को 1.37 लाख समायोजित शिक्षामित्र अपने पुराने पद पर लौट आए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव देव प्रताप सिंह ने बुधवार को शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर हुआ समायोजन रद्द कर दिया। सभी 1 लाख 65 हजार 157 शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10,000 रुपये महीना करने के आदेश भी जारी किए गए हैं। उन्हें वर्ष में 11 महीने ही मानदेय दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग के विशेष सचिव ने 1 अगस्त 2017 से इन्हें परिषदीय विद्यालयों में शिक्षामित्र के रूप में शिक्षण कार्य में लगाने और सहायक अध्यापक पद का वेतन 31 जुलाई 2017 तक ही देने के आदेश दिए हैं। यूपी सरकार में 26 मई 1999 से शिक्षामित्रों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। 1,76,000 शिक्षामित्रों के पदों में से 1,70,000 की भर्ती की गई। 19 जून 2014, 8 अप्रैल 2015 और 22 दिसंबर 2015 को आदेश जारी कर कुल 1,37,000 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया।
12 सितंबर 2015 को उच्च न्यायालय ने समायोजन रद्द कर दिया। 25 जुलाई 2017 को सर्वोच्च न्यायालय ने भी शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को रद्द करने के आदेश दिए। 26 जुलाई से 15 सितंबर तक शिक्षामित्रों ने लखनऊ से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक प्रदर्शन, आंदोलन किया। 20 सितंबर को बेसिक शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया।