यूपी डेस्क/ यूपी में अखिलेश सरकार के राज में यश भारती पुरस्कार बांटने में जमकर भाई-भतीजावाद हुआ। उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित पुरस्कार यश भारती सम्मान वितरण मामले में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सवालों के घेरे में हैं। पूर्व सीएम पर आरोप है कि उन्होंने अपने कुछ चहेतों को ये पुरस्कार दिए.ये खुलासा ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी के आधार पर किया गया है । अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान यश भारती पुरस्कार पाने वालों में नेताओं के दोस्त, अफसर और समाजवादी पार्टी के छोटे-बड़े नेताओं के परिजन तक शामिल हैं।
साल 2012 से 2017 के बीच जिन 200 लोगों को इस पुरस्कार से नवाजा गया उनमें करीब 150 लोगों का संबंध कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी से था। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार महज मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखने भर के बाद 21 लोगों को ये पुरस्कार दे दिया गया।
हालांकि चुनिंदा लोगों ये पुरस्कार देने पर सवालों में घिरे अखिलेश यादव ने सूबे की सरकार पर पलटवार किया है।अखिलेश यादव ने कहा, ‘हम तो कहते हैं आपकी सरकार है आप भी अपने खास लोगों को दे दो। हम कौनसा आपको रोक रहे हैं। पूर्व सीएम अखिलेश ने आगे कहा कि हमने 11 लाख और पचास हजार पेंशन दी। आपकी सरकार तो केंद्र में भी है। आपको तो एक लाख रुपए की पेंशन सुनिश्चित करनी चाहिए। बता दें कि यूपी सरकार के यश भारती सम्मान के तहत 11 लाख रुपये की एकमुश्त पुरस्कार राशि और 50 हजार रुपये प्रति माह पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। सूचना के अधिकार के जरिए मिली जानकारी के अनुसार करीब 21 लोगों को सीधे सीएम कार्यालय में आवेदन भेजने के बाद यश भारती पुरस्कार दिया गया था।
पुरस्कार के लिए नामों के चयन में भाई-भतीजावाद जमकर चला। इसके लिए मानदंड तय नहीं था। बताया जा रहा है कि एक को आजम खान ने जबकि दो नाम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने बताये थे। एक आईएएस की 19 साल की बेटी को भी यश भारती पुरस्कार दिया गया था। यश भारती पुरस्कार की स्थापना अखिलेश यादव के पिता और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने 1994 में मुख्यमंत्री रहते हुए की थी।