TIL Desk New Delhi/ आज बिलकुल भी आवाज़ नही आती इस घर की चारदीवारो से…
उस शहादत के बदले कोई क्या इनाम दे पायेगा…
उस बिन बाप के बच्चे को कोई क्या चलना सिखा पायेगा …
माँ बाप के बुढ़ापे में कोई सहारा दिलाएगा….
और उस बिधवा की बेजार ज़िन्दगी में कोई क्या बहार ला पायेगा….
बस अब कहा नही जात्ता…आँखें नम है…और उस शहीद को नमन है..