लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत के बाद भाजपा के थिंक टैंक पार्टी के मार्गदर्शक और जनसंघ के संस्थापक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सोशल इंजीनियरिंग के फ़ॉर्मुले पर काम कर रहे हैं। समझा जा सकता हैं कि उड़ीसा में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ब्राह्मण, ओबीसी के बाद दलित वर्ग से जुड़े व्यक्ति को कमान सौंप सकते हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, साल 2019 के लोकसभा इलेक्शन से पहले युवाओं को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके चलते यूपी प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय टीम का एलान अगले हफ्ते तक हो सकती हैं। भाजपा यूपी अध्यक्ष के चयन में मुख्यमंत्री योगी की सहमती अहम मानी जा रही है। भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ-सबका विकास नारे के अंडर बीजेपी ब्राह्मण, ओबीसी के बाद अबकी दलित चेहरे पर भी दांव लगा सकती है।
वहीँ अध्यक्ष पद के दावेदारों में अगर पश्चिमी यूपी से दलित लीडर की तलाश हुई तो आगरा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रामशंकर कठेरिया, बुलंदशहर के सांसद डॉ. भोला सिंह, कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर, पूर्व विधायक मुंशी लाल गौतम या फिर पूर्वांचल से प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर को मौका मिल सकता है। हिन्दू नेता, राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े बजरंग दल के संस्थापक और राज्यसभा सांसद विनय कटियार को इस बार ओबीसी कोटे से यूपी की कमान सौंपी जा सकती हैं। बरेली से लगातार नौवी बार सांसद बने पिछड़ा वर्ग के केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को यूपी कि कमान मिल सकती हैं।