लखनऊ डेस्क/ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। सरकार का दावा है कि इस विधेयक के अमल में आने के बाद निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में सफलता मिलेगी। यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा और उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मीडिया को इसकी जानकारी दी।
शर्मा ने बताया कि स्कूल की फीस लेने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और कोई भी स्कूल सिर्फ चार तरह से ही फीस ले सकेंगे, जिसमें विवरण पुस्तिका फीस, एडमिशन फीस, एग्जाम फीस और संयुक्त वार्षिक फीस शामिल है। उपमुख्यमंत्री के मुताबिक, अगर कोई वैकल्पिक सुविधा जैसे वाहन, होस्टल, ट्रैवल और कैंटीन की सुविधा लेता है, तभी अतिरिक्त फीस देना होगा। हर तरह के फीस की रसीद देना स्कूलों के लिए जरूरी होगा।
डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि इन नियमों के दायरे में सीबीएससी और आईसीएससी बोर्ड की ओर से संचालित स्कूलों को भी लिया गया है। साथ ही कोई भी स्कूल बच्चों की ड्रेस में पांच साल तक बदलाव नहीं कर सकेगा और न ही जूते-मोजे किसी दुकान से लेने के लिए बाध्य कर सकेगा। शर्मा ने बताया कि निजी स्कूलों में किसी भी कमर्शियल कार्य से जो आय होगी, उसे स्कूल की आय माना जाएगा। सरकार के इन फैसलों से अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि निजी स्कूल वार्षिक फीस में 5 फीसदी से अधिक वृद्धि नहीं कर सकेंगे। अन्य मदों को भी मिला दें तो अधिकतम वृद्धि 7-8 फीसदी ही कर सकेंगे। फीस स्ट्रक्चर अनिवार्य रूप से वेबसाइट पर प्रदर्शित करना होगा। एडमिशन फीस सिर्फ एक बार ही वसूल सकेंगे। फीस निर्धारण के लिए वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष माना जाएगा।