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हम धर्म और नाम बदल सकते हैं लेकिन अपने पूर्वज श्रीराम को नहीं

हम धर्म और नाम बदल सकते हैं लेकिन अपने पूर्वज श्रीराम को नहीं

वाराणसी डेस्क/ वाराणसी में एक संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नाजनीन अंसारी समेत कुछ मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ किया था। दारुल उलूम के उलेमा ने इस पर फतवा जारी करते हुए कहा था कि अगर कोई अल्लाह को छोड़कर किसी अन्‍य ईश्वर की पूजा करता है तो वह मुस्लिम नहीं रह जाता। अब मुस्लिम राष्ट्रीय नाजनीन अंसारी ने दारुल उलूम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एफआइआर दर्ज कराने की बात कही है। श्रीराम की आरती करने वाली मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ दारुल उलूम देवबंद द्वारा फतवा जारी करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दारुल उलूम कोई ठेकेदार नहीं है। उनके पास इस तरह का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। श्रीराम हमारे पूर्वज हैं और उनकी आराधना करना कहीं से भी गलत नहीं है|

नाजनीन ने सरकार से दारुल उलूम की फंडिग आदि की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फतवे पर रोक लगा दी थी, ऐसे में दारुल किसी के खिलाफ फतवा कैसे जारी कर सकता है। दारुल पर सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना करने का भी मामला बनता है। नाजनीन ने कहा, “मुझे अपने मुस्लिम होने पर गर्व है। लेकिन मैं ऐसे आधारहीन फतवों के सामने नहीं झुक सकती।” नाजनीन ने अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की वकालत करते हुए कहा, “अयोध्या है हमारी जियारथ का नाम, रहते हैं वहां इमाम-ए-हिंद श्रीराम|” उन्होंने कहा, “श्री राम हमारे पूर्वज हैं। हम अपना नाम और धर्म बदल सकते हैं लेकिन अपने पूर्वज को नहीं।”

इससे पहले, दारुल उलूम के उलेमा ने कहा था कि अगर कोई अल्लाह को छोड़कर किसी अन्‍य ईश्वर की पूजा करता है तो वह मुस्लिम नहीं रह जाता है। उलेमा का यह बयान वाराणसी में कुछ महिलाओं द्वारा दिवाली पर आरती किए जाने की पृष्‍ठभूमि में आया था । नाजनीन काशी की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 501 रुपये का चंदा भी दिया था।

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