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वोट बैंक के लिये नेता जी को जब जो सही लगा उसे किया…

TIL Desk/Lucknow- एक समय ऐसा भी था जब समाजवादी पार्टी के अंदर ही नहीं बल्कि परिवार में भी नेता जी की हां में हां और न में न के साथ पूरी पार्टी व परिवार साथ खड़ा दिखाई देता थाI लेकिन आज हालात वैसे नहीं दिख रहे है? अब कोई भी नेताजी के सामने मुंह उठाकर बोलने लगता है जो कभी मुलायम सिंह के सामने आने से भी घबरा जाते थे वे आज सीना तान कर बात करते है उनके निर्देशो का भी विरोध करते है? जिसकी बानगी कुछ दिन पहले से पूरी तरह देखने को मिली है। यदि मुलायम सिंह के पुराने दौर पर नजर डाली जाये तो उस दौर में नेता जी को आँख दिखने वाले अपने करीबियों को भी नहीं बख्श्ते थे| फिर चाहे, बॉलीवुड कलाकार राज बब्बर, रशीद मसूद और बेनी वर्मा सरीखे नेता ही क्यों न रहे हों| पर आज नेता जी अपनों के बीच में ही फसे नजर आते है|
नेता जी ने 2012 के विधानसभा चुनावो में युवाओ को पार्टी से जोड़ने के लिए अपने पुत्र अखिलेश यादव को आगे कर सपा के चुनावी अभियान की बागडोर सौप दी, अखिलेश का चहेरा आगे कर जितनी सीटो की अपेक्षा की थी उससे कही अधिक सीटे मिल गयी| लेकिन आज नेताजी उस स्थिति से कोसो दूर दिखाई दे रहे है क्योकि 2016 में अनुज शिवपाल पार्टी में अपनी हैसियत व ताकत का आकलन कर लेना चाहते है ताकि भविष्य में ऊट किस करवट बैठेगा इसका अंदाज हो सके ? सपा सुप्रीमो का एक ही लक्ष्य है, किसी भी तरह से 2017 में फिर जीत का सेहरा सपा के सिर बंध जाये |
मुलायम सिंह की राजनीती में बहुत कम ही होगा की उनकी अपनी विचारधारा का प्रभाव देखने को मिला हो। नेता जी अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिये जब जो सही लगा उसे करने से पीछे नहीं हटे| चाहे बाहुबलियों को गले लगाना हो या फिर भ्रष्टाचारियों को पनाह देना? आवश्यकता पड़ने पर अयोध्या में कारसेवको पर गोली चलाने का आदेश देना या फिर मुस्लिम टोपी पहन मुसलमानो के हिमायती बनने का| मुलायम को जरूरत आन पड़ी तो 2009 में उन्होंने कट्टर हिन्दूवादी चेहरा माने जाने वाले कल्याण सिंह को गले लगाने से भी पीछे नहीं रहे। अपनी सत्ता बचाने के लिये स्टेट गेस्ट हाउस कांड कर डाला, जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती की जान के लाले पड़ गये थे।
यही कारण है कि मुलायम सिंह बिना किसी की परवाह किये पार्टी और परिवार के लोगों को निर्देश दे देते है| नेता जी के निर्देशो का विरोध अप्रत्यक्ष रूप से कर रहे सपा युवा नेताओ को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी ? हलाकि प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब उन युवा नेताओ को पार्टी में पुनः वापसी कराने में लगे हुय्र हैं जिनहे प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने पार्टी से अनुशासन तोड़ने के चलते बाहर किया था |

– रामबाबू
(संवाददाता)

 

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