पटना डेस्क/ जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने यहां मंगलवार को कहा कि गांधी और गोडसे की विचारधारा साथ-साथ नहीं चल सकती है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पितातुल्य बताते हुए कहा कि उनके प्रति मन में सम्मान पहले भी था और आज भी है।
जद (यू) से निष्कासित किए जाने के बाद किशोर मंगलवार को पहली बार पटना पहुंचे और उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “नीतीश जी से मेरा संबंध विशुद्ध राजनीति का नहीं रहा है। 2015 में जब हम मिले, उसके बाद से नीतीश जी ने मुझे बेटे की तरह ही रखा है। जब साथ नहीं थे, तब भी उन्होंने मुझे बेटे जैसा ही रखा। जब मैं दल में था तब भी और नहीं था तब भी। नीतीश कुमार मेरे पितातुल्य ही हैं। उन्होंने जो भी फैसला किया, मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।”
प्रशांत ने नीतीश के साथ वैचारिक मतभेद की चर्चा करते हुए कहा, “जितना नीतीश जी को मैं जानता हूं, वह हमेशा कहते रहे हैं कि गांधी, जेपी और लोहिया की बातों को नहीं छोड़ सकते। मेरे मन में दुविधा रही है कि जब गांधी के विचारों पर चलने की बात कर रहे हैं तो फिर उसी समय में गोडसे की विचारधारा वालों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि गांधी और गोडसे की विचारधारा को लेकर हम दोनों में मतभेद रहा है। दोनों विचारधारा एकसाथ नहीं चल सकती है। उन्होंने कहा, “अगर आपके झुकने से भी बिहार का विकास हो रहा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। क्या बिहार की इतनी तरक्की हो गई, जिसकी आकांक्षा यहां के लोगों की है? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिल गया?”
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार की मांग के बावजूद अब तक पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल सका है। किशोर ने हालांकि यह भी कहा कि “नीतीश कुमार के 15 सालों के राज में बिहार में खूब विकास हुआ है, मगर क्या आज के मानकों पर राज्य में विकास हो गया है। क्या हम कई अन्य राज्यों से पिछड़े नहीं हैं?”