TIL Desk #Election/अपना सियासी वजूद बचाये रखने के लिए शिवपाल यादव नई पार्टी बनाएंगे यह बात तो समझ में आती है, लेकिन प्रदेश में उनके कद के नेता सपा के सिम्बल साइकिल से नामांकन करें, चुनाव लड़ें, और बात करें, चुनाव के बाद नई पार्टी बनाने कि यह शोभा नहीं देता | एक दल में शामिल रह कर उसके प्रत्याशी के रूप में उतरने के बाद बड़ा राजनीतिक बयान देना बग़ावती तेवर तो है पर राजनैतिक रूप से ‘सैद्धान्तिक’ कतई नहीं माना जा सकता | उनका यही ओछापन दर्शाता है कि उनके द्वारा बनायीं गयी पार्टी कितनी सिद्धान्तवादी होगी | हाँ, शिवपाल यदि सपा के टिकट को ठुकरा कर निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाख़िल करते तो उनका क़द और ऊँचा उठ सकता था | इतना ही नहीं उन्होंने तो यहाँ तक कह डाला कि मेरा जो समर्थक सपा से टिकट कटने के बाद किसी भी पार्टी से कहीँ भी चुनाव लड़ रहा हो तो उसके बुलाने पर प्रचार के लिए भी जाऊंगा | पारिवारिक लड़ाई का एक रूप तो हो सकता है किन्तु स्वस्थ राजनीतिक की धार को कुन्द करने वाला कदम ही माना जायेगा |
अंदरख़ाने से छन कर आने वाली खबरों को माना जाये तो नयी पार्टी बनाने की यह सोच 16 जनवरी को ही आकार लेने लगी थी जब चुनाव आयोग ने साइकिल व् सपा अखिलेश यादव के हवाले कर दी थी | इसके बाद ही उनके समर्थक इटावा स्थित आवास के समीप “मुलायम के लोग” नामक बोर्ड टांगकर दफ्तर ख़ोल कर बैठ गए थे | ख़ुद शिवपाल ने भी इस कार्यालय में पहुँच कर उन्हें बकब किया | इधर अखिलेश को कांग्रेस से गठबंधन करने पर नसीहत देने के बाद मुलायम सिंह भी चुप्पी साध कर बैठ गए | अब देखने वाली बात होगी कि 11 मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद ऊंट किस करवट बैठता है | यदि अखिलेश बहुमत पाकर फिर सरकार बनाते है तो ‘शिवपाल की पार्टी’ का क्या होगा | मुलायम बेटे को आशीर्वाद देते हैं या भाई को नई पार्टी स्टैंड करने में मददगार बनते है | कुछ शिवपाल समर्थक तो नई पार्टी का नाम ” समाजवादी लोकदल” होना भी बता रहे हैं | अब शिवपाल के अम्बिका चौधरी व् नारद राय जैसे समर्थक बसपा ज्वाइन कर हाथी से चुनाव लड़ रहे हैं | पर सपा व् अन्य दलों के असंतुष्ट नेता ज़रूर उनकी पार्टी तले छाव पा सकते हैं | टिकट न मिलने पर मुलायम व् शिवपाल के करीबी रहे शादाब फातिमा, आशीष यादव, रघुराज शाक्य, ओम प्रकाश सिंह, ज़मीर उल्ला, रामपाल यादव व् शारदा प्रताप शुक्ला जैसे लोग या तो रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है अथवा सपा प्रत्याशियों को हराने का काम | यह सब भी शिवपाल के साथ आकार खड़े हो सकते है | लेकिन कुछ भी तय तभी माना जायेगा जब चुनाव परिणाम के बाद सरकार के गठन का रास्ता खुलेगा | मुलायम का आशीर्वाद भी तभी तय होगा जब परिणाम आएंगे | ओपिनियन पोलो के मुताबिक यदि सर्वे सच होते हैं तो सरकार गठबंधन की बनेगी | तब मुलायम किसका साथ देंगे यह अभी भविष्य के गर्त में है |
सुधीर निगम
रेजिडेंट एडिटर
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