लखनऊ डेस्क/ उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के 20 केस और वापस लेने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही सरकार अब तक कुल 68 मुकदमों को वापस लेने की अनुमति दे चुकी है। शासन की तरफ से जिन केसों की वापसी की अनुमति दी गई है वे पुलिस और पब्लिक की तरफ से दर्ज कराए गए थे। ये सभी केस आगजनी, लूट, डकैती आदि धाराओं के हैं।
एडीएम प्रशासन अमित कुमार सिंह ने बताया कि शासन की ओर से 20 केस वापस लेने की अनुमति के शासनादेश आए हैं। इन केसों की पत्रावली प्रशासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी और जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी को भेज दी गई है।
पिछले वर्ष से मुजफ्फरनगर दंगे में केस वापस लेने की कार्रवाई योगी सरकार ने शुरू की थी। लोकसभा चुनाव से पहले आठ मार्च को सात शासनादेश आए थे, जिनमे 48 केस वापस लेने की अनुमति मिली थी। पांच केस कोर्ट में निस्तारित हो चुके हैं, जबकि एक में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। अब चुनाव के बाद तीन और शासनादेश जारी कर 20 मुकदमों को वापस लेने की अनुमति दी गई है। इसमें सबसे ज्यादा केस फुगाना थाने का है। इसके अलावा भौराकलां, जारसठ, नई मंदी और शहर कोतवाली में दर्ज केस भी शामिल हैं।
पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानूनी सलाह लेने के बाद मुकदमे वापस लेने का आश्वासन दिया था। तब भाजपा सांसद संजीव बालियान ने मुख्यमंत्री से मिलकर केस वापसी की गुजारिश की थी। संजीव बालियान का आरोप है कि दंगों के दौरान कुल 402 फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। उनके मुताबिक, इन केसों में 856 निर्दोष लोगों को फंसाया गया, इनमें 9 केस ऐसे थे, जिसमें 100 महिलाओं समेत 250 लोगों को आरोपी बनाया गया था।